Thursday, April 5, 2012

सात समुद्र पार सँ

विहनि कथा--सात समुद्र पार सँ
मनोहर बाबू इलाका कए नामी डाँक्टर छलाह । बजार मे तीन तल्ला घर मे अपने , कनियाँ दू टा बेटा संग माँ-बाबू सेहो रहै छलथिन । अथाह रूपैया तेंए कोनो चिजक कमी नहि ।अपनो नव जमाना कए आ कनियो कलजुगी ,अपना मोनक मालिक छलनि । हुनक कनियाँ शरबत जकाँ घोरि क ' इ बात पिया देलकनि जे माँ-बाबू बिमार रहै छथि ,तेंए बच्चा कए इनफेक्सन भ' सकै यै , दोसर देखभाल करबाक लेल फुरसतो नहि अछि तेंए दुनू गोटे कए वृद्धा-आश्रम द' आबियौ । मनोहर बाबू सब बात माँ-बाबू कए कहखिन । तै पर बाबू नोराएल नैन सँ कहलनि ,"अपन संस्कृति इ आदेश नहि दै छै , हम कते दिन जीबे करब ,तोहर मूँह देखैत मरब त' शांती भेटत , हमरा संगे रह' दए , "
मनोहर बाबू जबाब देलनि ," जहिना अंग्रेजी ,पहिराबा , खान-पान , रहन-सहनसंग बहुतो रास तकनीक दोसर संस्कृती सँ आबि अपन भ' गेल , तहिना वृद्धा आश्रम भेजबाक संस्कृती अपनाब' परत किएक त' इ सात समुद्र पार सँ एलै यै ,एकरा छोड़ल नहि जा सकै यै "
दुनू प्राणी बेटा कए मूँह ताकैत सोच' लागलाह जे केहन जमाना छै लोक कोना बदलि रहल छै अपन संस्कृति कए सात समुद्र पार सँ . . . । ।
अमित मिश्र

No comments:

Post a Comment