Thursday, April 12, 2012

शिष्टाचार :: जगदीश मण्‍डल


शिष्टाचार

एकटा इनारपर चारिटा पनि-भरनी पानि‍ भरैले आएल छलि। एक्केटा डोल छलै तँए एक गोटे पानि भरैत छलि आ तीन गोटे गप-सप्‍प करैत छलि। सभ अपन-अपन बेटाक बड़ाइ करैत। पहिल औरत बाजलि- हमर बेटाक आवाज एत्ते मधुर अछि जे रजो-रजवारमे ओकरा सम्मान भेटतै।
दोसर कहलकै- हमरा बेटाक शरीरमे एत्ते तागति‍ अछि जे नमहर भेलापर बड़का-बड़का पहलमानकेँ पटकत।
तेसर बाजलि- हमर बेटा एहेन तेजगर अछि जे सभ साल इस्कूलमे फस्ट करैए।
मुड़ी निच्चाँ केने चारिम कहलक- आने बच्चा जकाँ हमर बेटा साधारण अछि।
पनिभरनी सभ इनारपर गप-सप्‍प करिते छल आकि स्कूलमे छुट्टी भेलै। अबैत-अबैत चारूक बेटा इनार लग देने गुजरैत रहए। एकटा गीत गबैत दोसर कूदैत-फनैत, तेसर किताब खोलि किछु पढ़ैत छल। चारिम पाछू-पाछू चुपचाप अबैत छल। इनार लग अबिते चारिम अपन माएक भरल घैल माथपर ल लेलक आ माएक हाथमे अपन बस्ता द देलक। आगू-पाछू दुनू माए-बेटा आंगन विदा भेल।
इनारे लग एकटा बुढ़िया बैसल सभ बात सुनैत छलि। ओ चारू पनिभरनीकेँ रोकि, कहलक- ई चारिम लड़का जे अछि ओ सभसँ नीक अछि। एकर शिष्टाचार सभसँ नीक छै

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