Thursday, April 12, 2012

सादा जि‍नगी :: जगदीश मण्‍डल


सादा जि‍नगी

सन १९४९ई.क बात थिक। ओइ समए स्वर्गीय लालबहादुर शास्त्री उत्तर प्रदेश सरकारमे गृहमंत्री रहथि। एक दिन लोक निर्माण विभागक किछु कर्मचारी हुनका डेरामे कूलर लगबैले आएल। शास्त्रीजी डेरामे नै रहथि। परिवारक बच्चो आ पत्नियोकेँ कूलर देखि‍ खुशी भेलनि‍।
साँझमे लालबहादुर शास्त्री डेरा एलाह। डेरा अबि‍ते देखलखिन जे कूलर लगबैले लोक निर्माणक कर्मचारी सभ छथि। कूलरसँ शास्त्री जीकेँ खुशी नै भेलनि। ओ कूलर लगबैसँ मना कऽ देलखिन। परिवारक सभ स्तब्ध भऽ गेल। पत्नी कहलकनि- जे सुविधा सरकार द रहल अछि ओकरा मना किएक करै छी?”
गंभीर स्वरमे शास्त्रीजी उत्तर देलखिन- ई जरूरी नै अछि जे हम सभ दिन मंत्रिये रहब। कूलरसँ सबहक आदति बिगड़ि जाएत। परिवारमे बेटियो अछि जेकर बि‍आह हेतै। दोसर घर जाएत। अगर जँ ओकरा ओइ परिवारमे एहेन सुविधा नै होय तखन तँ कष्ट हेतै।

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