रग्घू कनियाँ पीलियासँ ग्रस्त अंतिम अवस्थामे दिल्लीक
लोकनायक जयप्रकाश अस्पतालमे आइ दस दिनसँ भर्ती भेल जीवन आ मृत्युक बिच संघर्ष कए रहल छलथि
| पीलियाक अधिकता आ कोनो आन कारणे आँखिमे से
इन्फेक्सन भए गेलनि | लोकनायक
जयप्रकाश अस्पतालक
डाक्टर रग्घूसँ
कहलकनि जे कनियाँक आँखि लोकनायक जयप्रकाश अस्पतालक बगलेमे आँखिक अस्पताल गुरुनानक
आई हॉस्पिटल छैक ओहिठामसँ जाँच करा कए आनै लेल |
रग्घू
डाक्टरक बात मानि एहि काजमे लागि गेला |
लोकनायक आ गुरुनानक दुनू सरकारी अस्पताल
छैक तैं खर्चाक बात नहि मुदा रग्घूकेँ
बोनि मजुरी रहैन रोज कमाऊ
आ रोज खाऊ आ आइ दस दिनसँ अपन बोनि छोरि कनियाँ संगे एहि ठाम अस्पतालमे छथि | दस दिनसँ नव काज नै | जमा पूंजी खत्म | एखन तत्काल लोकनायकसँ गुरुनानक अस्पताल तक जाइमे
पन्द्रह रुपैया जइती आ पन्द्रह रुपैया आबिती, तिस रुपैया चाही | हुनका लग छलनि कुल दस रुपैया | ओहि दस रुपैयामे अपन किछु नास्ता भोजन सेहो, कनियाँकेँ तँ अस्पतालेमे भेट जाइ छलनि | ओइ ठामसँ काज करै लेल कतौ जेबों करता
ताकी पाइ होइन
तँ कम सँ कम दस रुपैया बस भारा
चाहीएन |
ई सभ समस्याकेँ जनैत रग्घूक कनियाँ रग्घूसँ कहलनि,
" फोन कए क' अपन भैयासँ दू सय रुपैया माँगि लिअ,
काइल्ह-परसु काज कएला बाद पाइ होएत तँ
दए देबैन |"
रग्घू अपन कनियाँकेँ कन्हापर उठा लोकनायकसँ गुरुनानक
अस्पतालकेँ लेल बिदा भए गेला आ चलैत-चलैत बजला, "अहाँ जुनि चिंता करु, रिक्सासँ नीक सबारी हमर पिठक होएत आ रहल ई मुसीबत तँ ई तँ चारि दिन बाद खत्म भए
जाएत मुदा केकरो उपकार सधबैमे पूरा जीवनों
कम परत |"
No comments:
Post a Comment