स्वाभिमान
सुभाष चन्द्र बोस स्कूलक पढ़ाइ समाप्त कऽ कओलेजमे नाओं लिखाैलाह। ओइ
कओलेजमे अंग्रेजीक शिक्षक अंग्रेज छल। नाओं छलनि सी.एफ. ओटन। ओहुना सत्तामे रहनिहारक
बोली जनताक बोलीसँ भिन्न होइत छैक। मुदा ओटनमे आरो बेसी रोब छलैक। बात-बातमे ओ भारतीय
जिनगीक मजाक उड़बैत छलाह। भारतवासीक जिनगीक प्रति घृणा पैदा करब ओ अपन बहादुरी बुझै
छल।
सुभाषबाबूकेँ
ओटनक बेवहार पसिन्न नै होन्हि।
मुदा विद्यार्थी रहने मन मसोसि कऽ रहि जाथि।
एक दिन वर्गेमे सुभाष बैसल रहथि। ओटन भारतवासीक प्रति व्यंग्य करए लगल। व्यंग्य सुनि
सुभाषक हृदैमे आगि धधकए लगलनि। क्रोधे ओ बेकाबू भऽ गेलाह। अपन जगहसँ उठि आगू बाढ़ि ओटनक
गालमे कसि कऽ दू थापर लगबैत कहलखिन- “भारतवासीमे
अखनो स्वाभिमान जीबैत छै। जँ कियो
ऐ बातकेँ बिसरि चुनौती देत तँ एहिना मारि खाएत।”
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