Tuesday, April 24, 2012

ठकबुद्धि


विलट राम पहिल बेर दूनू प्राणी गाम आयल अछि.संग मे दूनू बच्चा सभ सेहो अयलहि अछि.गंगाधर पण्डित कार सँ उतरैत विलट, ओकर कनिञा आ' बच्चा सभके देखने रहथि.अनमन विदेशी लगैछै. गोर धप-धप बच्चा सभ. कनिञा सेहो बड्ड सुन्नरि छैक.विलट त' पहिनहि जँका अछि.गहुँमक रंग सन मुदा मूँहक चमक बढ़ि गेलैक अछि.किएक नहि बढतै कलक्टरक पोस्ट कोनो मामूली पोस्ट नहि होइ छै.जिलाक राजा होइत अछि कलक्टर.तखन राजसी ठाठ-बाठक चमक त' एबे करतै.कनिञा बिभा कुमार सेहो एस.डी.ओ.छैक.दू बरखक जुनियर छै कनिञा विलट सँ.दिल्लीए मे दुनू प्रेम विवाह केने रहए.बेचनी, विलटक माय दियामान सँ फाटल जा रहल छै.पाँच बरखक पोता राकेश आ' दू बरखक पोती रश्मि के देख ओकर खुशीक कोनो ठेकान नहि छै.बेर-बेर दुनू के करेजा सँ सटाबैत अछि.राकेशक मुँह सँ "दादी" शब्द सुनतहि ओकर आँखि नोरा जाइत छै.आँचरक खूट सँ बेर-बेर अपन आँखि पोछि लैत अछि बेचनी.

भरि गामक लोक करमान लागल छै विलटक दलान पर. गंगाधर पण्डित जी, दयाकांत मास्टर साहेब,किरतु मुखिया,...गामक मुँहपुरूख बच्चा बाबू सेहो कुरसी लगा बैसल छथिन्ह.एतबे मे रश्मि के कोरा मे नेने विलट सेहो आँगन सँ दलान पर अबैत अछि.विलटक अबिते ओहिठाम कुरसी पर बैसल सभ लोक ठाढ़ भऽ जाइत अछि.विलट,बच्चा बाबू,पण्डितजी,मास्टर साहेब,सभ के पएर छूबि गोर लगैत अछि.मास्टर साहेब विलट के भरि पाँज पकरि छाती सँ सटा लैत छथिन्ह.हुनका मूँह पर गर्वक भाव स्पष्ट देखार भऽ रहल छैन्ह जे हुनकर विद्यार्थी आइ कलक्टर बनि गेल.विलट सभ के विनम्र भावे बैसबाक आग्रह करैत अछि.सभ बैसथि अछि.

भरि गौँआ के आइ गर्व भऽ रहल छैक जे ओकरा गाम मे एकटा कलक्टर सेहो छैक-बच्चा बाबू विलट दिस तकैत बजलाह........एक्केटा नहि दू टा बच्चा बाबू -पण्डित जी बिचहि मे बच्चा बाबूक बात कटैत कहलखिन्ह.कनिञा सेहो अगिला साल धरि कलक्टर बनिए जेतीह ने...पण्डित जी आँगा बजलाह.विलट किछु नहि बाजल.खाली मुस्कियाएल रहए कने.

आँगन सँ गोपीया, विलटक पितियौत एकटा छिपली मे पाँच-छह कप चाह नेने आयल.सभ गोटे चाह पिबै लगलाह.एतबे मे बुद्धिनाथ सेहो विलटक दलानक आँगा बाटे कोम्हरो जाइत रहथि....कतौ जाइत नहि रहथि..ओ त' विलटे सँ भेँट करय आयल रहथि मुदा विलट ल'ग बच्चा बाबू के देखि दोसर बाट पकड़ि लेलथि.सात पुरूखा सँ दुनूक परिवार मे एक-दोसराके निच्चा देखेबाक होर मचल छन्हि.पुस्तैनी दुश्मनी चलैत छन्हि."देखहक बच्चा बाबू केहन निर्लज्ज भऽ गेल, बेचनीक दुआरि पर बैसि आब चाह पिबैत अछि....चमारक दुआरि पर..राम-राम." -ई बात कंटीर सँ कहैत काल बुद्धिनाथक स्वर मे अपन दुश्मन सँ पाँछा भऽ जेबाक खौँझी स्पष्ट प्रतीत भऽ रहल छलैन्हि.

राकेश हाथ मे एकटा गेन नेने दलान पर आयल आ' विलट के अपना सँग खेलबाक लेल जिद्द करय लागल. बच्चा बाबू ओकरा अपना कोरा मे बैसा लेलखिन्ह आ' गाल पर चुम्मा लऽ लऽ दुलारऽ लगलखिन्ह.बच्चा बाबूक कोरा मे  अपन पोता के बैसल देखि बेचनी के करीब तीस बरख पहिलुका बात मोन परि गेलइ.छहे मासक रहैक विलटु..हाँ विलट..भरि गौँआ आ' बेचनी सभ तऽ विलटुए कहैत छलै विलट के.बेचनी लेल तऽ विलट एखनहु विलटुए अछि.

ओहि दिन बेचनी एसगरे रहए घर मे.सासु नैहर गेल रहए.ससुर सासु के पहुँचाब गेल रहथिन्ह.विलटक पिता सेहो कोनो आन गाम गेल रहय रसनचौकी बजबै लेल.नवहथ बाली गिरहतनी माने बच्चा बाबू गिरहतक घरबालीके बच्चा होनहारी रहए.प्रसवपीड़ा उठि गेल रहए.बच्चा बाबू गिरहत के हुनकर बाबू माने बड़का गिरहत पठेने रहथिन्ह माय के बजा अनय लेल.असमंजस मे परि गेल रहए बेचनी......घर मे पुरूष-पात नहि छै.ओकरा एखन सालो नहि पुरलैए सासुर बसना. कोना जेतइ घर से बाहर...? छह मासक बच्चा के कत' रखतइ...?.'तऽ आई धरि कहियो, ककरो परसौती करेबो नहि केलकइ....मुदा, नहि जेतइ त' पसारी छियैक गिरहत छुटि जेतइ....बोनि मरि जेतइ....मालिक की कहतइ....तहू मे बड़का गिरहत.....सौसे गाम हुनकर धाक करै छै....बड़का कलेवर बला लोक छथि...अन्ततः बेचनी अपन पितीया सौस के संग कऽ गेल रहए.विलटु के सेहो संगे नेने गेल रहए. छए मासक बच्चा के कत' रखितइ.

सूरेश बाबू जनमल रहथिन्ह.बड़का गिरहत, बच्चा गिरहत सभ गिरहतनि,सभ केयो बड्ड हरखित रहथिन्ह.बेचनी सेहो मोने मोन निचेन भेल रहए जे गिरहत नहि छुटलै.बेटा जनमलैन्ह तै बोइनो बेशी कऽ के भेटतइ.घोघ तनने, विलटुके कोरा मे उठेने विदाह भेल रहए कि तखने पएर मे किछु अभरल रहए.घोघ त'र से नहि देखायल रहए ओकरा. अरे बाप रे ..जुलूम भऽ गेलै..मैँयाक पितरिया लोटा छुआ गेलै...कोनो बच्चा चिकरि उठल  रहए.बेचनी के देह जेना पथरा गेल रहै ई बात सुनितहि देरी...बु......दी,ख...राही..,असर्ध-असर्ध गारि पढ़ैत बच्चा बाबू बेचनी दिस मारय लेल हुरकल रहै..ओ'तऽ बेचनी के पितिया सौस पएर पर खसि परल रहै बच्चा बाबू आ' बड़का गिरहत के तँइ जान बचलै.एकएक टा बात,एकएक टा गारि बेचनी के एखनहु ओहिना मोन छै.एखन धरि नहि बिसरल भेलैए ओहि अपमान के...विलटुआ के बाप जखन गाम अयलहि तऽ सभटा बात बेचनी कहि देलकै आ' दुनू परानि ओही दिन सप्पत खैने रहै जे आब ओ ककरो पसारी बनि के नहि रहत.छुटि गेलै गिरहत..छुटलै कि छोड़ि देलकै...फेर विलटुआक बाप रसनचौकी बजाके आ' बेचनी खेत मे बोइन कऽ के विलटु के पढेलकै.......कलक्टर बनेलकै.परूका साल विलटु के बाप चलि गेलै बेचनी के असगरे छोड़ि के.नहि...नहि ओ एसगर कहाँ अछि......भरल-पुरल परिवार छै.एहन परिवार जकरा देख ककरा ने सेहन्ता लगैत छै.बेचनी के आँखि फेर नोरा गेल रहै.ओ फेर आँचर सँ आँखि पोछि लेलक.एतेक दिन बेचनी के एकटा प्रश्न बेर-बेर मोन मे उठैत छलै जे बच्चा बाबूक पुतोहु डाक्टरनी छै.ओहो तऽ परसौती करबै छै लेकिन ओकर छूअल किछो किएक नहि छुआएत छैक...?..मुदा आई अपना दलान पर बच्चा बाबू के चाह पिबैत देख बेचनी के एहि प्रश्नक उत्तर सेहो भेट गेलै.

मंच सजल छैक.मंच पर विलट बैसल अछि.गामक गणमान्य लोक सभ सेहो बैसल छथि.विलटक सम्मान समारोह आयोजित कयल गेल अछि.सभटा खर्च बच्चा बाबू केलखिन्ह.माइक पर किरतु मुखिया भाषण दऽ रहल छथिन्ह.-"हमर गामक श्री विलट राम,कलक्टर बनि गेलाह. ई हमरा सभक लेल गौरव के बात अछि.हम सभ आइ हुनका समस्त ग्रामीणक तरफ सँ सम्मानित करब..." बच्चा बाबू विलट के पाग, माल आ' दोपटा पहिराय सम्मानित करैत छथिन्ह.विलटक मुँह पर एखनो बस मुस्की टा छै.ओकरा सभटा बुझल छैक.बच्चा बाबूक किरदानी...मायक ब्यथा...समाजक चापलूसी..सभ जनैत अछि विलट आ तइँ ओकरा माथक पाग कोनो ठकक द्वारा पहिराओल टोपी सँ बेशी नहि लगैत छैक.मुदा,आब विलट ठकाइ बला नहि अछि आर तइँ ओकरा बच्चा बाबूक ठकबुद्धि पर हँसी लगैत छैक.

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