आत्मबल- १
फ्रान्सक कथा थिक। रास्ताक बगलक पहाड़ीपर बैस एक गोटे
अपन जुत्ता मरम्मत करबैत रहथि। एकटा ढेरबा बच्चा जुत्ता मरम्मत करैत छल। ओइ बच्चाक
बगए-वानिसँ गरीबी झलकैत रहए। मुदा आत्मबल आ लगन मजगूत छलैक। जुत्ता मरम्मत करा ओ आदमी
एक रूपैया पारिश्रमिक दऽ चलए लगल। मुदा माइक विचार ओहिना ओइ बच्चाक हृदैमे जीबैत छल।
बच्चा अपन उचित पाइ काटि बाकी घुमबए लगल। ओ महानुभाव -जूत्ता मरम्मत करौनिहार- सभ पाइ
रखि लइले कहलक। तइपर बच्चा बाजल- “हमर जतबे उचित मजूरी हएत, ओतबे लेब। माए कहने छथि जे जतबे श्रम करी ओतबे मजूरी
ली।”
बच्चाक
बात सुनि ओ गुम्म भऽ आेइ बच्चाकेँ
ऊपरसँ निच्चाँ घरि निङहारए लगल। वएह
बच्चा फ्रान्सक राष्ट्रपति दगाल भेलाह।
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