Thursday, April 12, 2012

आत्मबल- १ :: जगदीश मण्‍डल


आत्मबल- १

फ्रान्सक कथा थिक। रास्ताक बगलक पहाड़ीपर बैस एक गोटे अपन जुत्ता मरम्मत करबैत रहथि। एकटा ढेरबा बच्चा जुत्ता मरम्मत करैत छल। ओइ बच्चाक बगए-वानिसँ गरीबी झलकैत रहए। मुदा आत्मबल आ लगन मजगूत छलैक। जुत्ता मरम्मत करा ओ आदमी एक रूपैया पारिश्रमिक दऽ चलए लगल। मुदा माइक वि‍चार ओहिना ओइ बच्चाक हृदैमे जीबैत छल। बच्चा अपन उचित पाइ काटि बाकी घुमबए लगल। ओ महानुभाव -जूत्ता मरम्मत करौनिहार- सभ पाइ रखि लइले कहलक। तइपर बच्चा बाजल- हमर जतबे उचित मजूरी हएत, ओतबे लेब। माए कहने छथि जे जतबे श्रम करी ओतबे मजूरी ली।
बच्चाक बात सुनि ओ गुम्म भ आेइ बच्चाकेँ ऊपरसँ निच्चाँ घरि नि‍ङहारए लगल। वएह बच्चा फ्रान्सक राष्ट्रपति दगाल भेलाह।

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