Friday, April 6, 2012

अनकर दुर्गति



हाथ मे झोड़ा नेने, मोने मोन किछो गुनधुन मे पड़ल हम बजार दिस चलि जाइत रही. एतबे मे हमर लंगोटिया भजार भुटकून सोझाँ मे आबि गेलाह. ओ बम्बई सँ घर घुमल छलाह.दहिना हाथ मे अटैची रहैन्ह आ' बामा कान्ह पर बेश भरिगर बैग.नीक कमाइ छथि से सुनैत छलहुँ मुदा आइ हुनकर पहिरन-ओढ़न देख सबुत भेट गेल. लगीच अबितहि भरि पाँज पकडी लेलाह...की हाल-समाचार छौ रौ भजार..बाप रे कतेक दिनुका बाद भेँट भेल अछि..एह धन्य भए गेलहु..बजलाह. हमरो मोन हुनकर एहि मित्रता आ' हमरा प्रति स्नेह देखि गद-गद भ' गेल.पुछलियैन्ह ..की हाल छह..बहुत दिनुक बाद गाम मोन पड़लह. बिहुसैत बजलाह, काज-राज मे व्यस्त रहैत छी..समये नहि भेटैत अछि जे गाम आयब. ई त' आठम दिन बियाह छी तँइ आबय पडल. हम पुछलियैन्ह-ठीके ? ओ गंभीर होइत बजलाह-हाँ एहिठाम बगले मे रखबारी...फेर पुछलाह-मुदा तोँ एना किएक पुछलैह -"ठीक्के"?. हम कने अनमनस्क होइत बजलहुँ-नहि..नहि..अहिना..हमरा त' बिसबासे नहि भ' रहल अछि...ओना ई साल बड्ड शुभ छै देखहक ने बिदेसराक सेहो बियाह भ' गेलै. आब ओ' हम्मर बात बुझिगेल रहय.बिहुँसैत बाजल-ऐ रौ तु हमरा बुढ़ बुझैत छैह जे हमर गिनती ओहि  पैतालिस बरखक बिदेसरा से करैत छैँ. हम हसैँत कहलियन्हि-नहि...नहि ..अरे हमरा कहने हेतै त' हम त' तोरा एखनो एहू पैतिस बरखक अवस्था मे अठारह बरिखक छौडा कहबह मुदा ई त' गौआ सभ कहैत रहैत छह. भुटकुन हँसैत बाजल-हाँ...हाँ..ठीके कहबी छै ने जे अप्पन बियाह भ' गेल त' लगने खतम. हम कहलियैन्ह - नहि..नहि ई कहबी विल्कुल गलत अछि. हमरा बुझने कोनो विवाहित व्यक्ति ई नहि चाहैत होयत जे अनकर विवाह नहि हो. भुटकुन आश्चर्यचकित होइत बाजल-से कियेक ? दोसरक दुर्गति के नहि देखय चाहैत अछि ?-हम कहलियैन्ह.ओ भभा के हँसय लगलाह.

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