Saturday, April 14, 2012

परमेश्वर

प्रस्तुत अछि मुन्ना जीक एकटा विहनि कथा---


परमेश्वर

करमान लागल लोकक बीच पंचैती शुरू भेल।
पहिल पुरुष पंच----- अइ छौंड़ा-छौंड़ीकेँ तँ भकसी झोंका कए मारि दिअ। छोड़ू नै। इ प्रेमक नामपर सगरो समाजकेँ कलंकित केलक अछि।
दोसर पुरुष पंच----- नै एकरा ऐ पड़ौआ छौंड़ासँ मुक्ति दिआ बिआहि दिऔ कोनो लुल्ह,नाङर,घेघाह वा कनाहसँ अपन कुकर्मक सजाए एतै भोगि लेत इ।

मौगी पंच----ऐ उढ़री-ढ़ररीसँ कोन गामक लोक बिआह करत? एकरा तँ तरहड़ा खूनि गाड़ि दिऔ।
एहि घोंघाउजक बीच छौंडीक कुहरल आवाज आएल----- हम अहाँ सभहँक पएर पकड़ै छी। हम उढ़री नै छी। हम एकरासँ प्रेम करै छी। हमरा जे चाही से सजाए दिअ। मुदा हमरा सभकेँ जिनगी दिअ।
आ चोट्टे मुखिया जी छौड़ी माएकेँ बजा कहलखिन्ह------ लिअ एकरा झोंट पकड़ि लए जाउ आ बान्हि राखू।

तखने सभ पंच समवेत स्वरे बाजल---- मुखिया जी अपने तँ परमेश्वर छिऐ तखन फेर एकर सजाए-----बस एतबे।

मुखिया जी बजलाह--- नेतृत्वक काज छै जे जँ कतौ पसाही लागल देखए तँ ओहिमे पानि ढ़ारि दै नै की घी।

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