Saturday, April 7, 2012

कर्तव्‍यपरायन तोता :: जगदीश मण्‍डल


कर्तव्यपरायन तोता

एकटा जमीनदार रहथि। हुनका बहुत खेत रहनि। धानक खेती केने रहथि। खेतक चारू कोणपर रखवार खोपड़ी बना ओगरबाहि करैत छल। रखवारकेँ रहितो तोता सभ उड़ैत आबि, धानो खाइत आ सीस काटि-काटि लैयो जाइत। एकटा एहेन तोता छल जे अपने खेतेेमे खा लैत आ उड़ै काल छअ गोट सीस काटि लोलमे लऽ उड़ि जाइत। एक दिन रखवार ओकरा जालमे फँसा लेलक। तोताकेँ लेने जमीनदार लग रखबार लऽ गेल।
तोताकेँ देखि‍ जमीनदार पुछलकै- धानक सीस काटि कतए जमा करै छेँ
निर्भीक भऽ तोता उत्तर देलकनि- दूटा सीस कर्ज सठबैले दूटा कर्ज लगबैले आ दूटा परमार्थ लेल लऽ जाइ छी। कुल छअ-टा सीस, अपन पेट भरलापर, ल उड़ि‍ जाइ छी।
अचंभित होइत जमीनदार पुछलकै- की मतलब?”
तोता- बृद्ध माए-बाप छथि जनिका उड़ि नै होइत छन्‍हि‍, तनिका लेल दूटा सीस। दूटा बच्चा अछि तकरा लेल दूटा सीस आ पड़ोसिया दुखित अछि दूटा सीस हुनका लेल।
तोताक बात धि‍यानसँ सुनि जमीनदार गुम्म भऽ गेलाह। किछु समए मने-मन विचारि रखवारकेँ कहलखिन- ऐ तोताकेँ चीन्हि लहक। जँ कहियो धोखासँ पकड़ाइयो जा तँ छोड़ि दिहक।


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