Thursday, April 12, 2012

अनुभव :: जगदीश मण्‍डल


अनुभव

व्यक्ति अपन अनुभवसँ सीखबो करैत अछि आ दोसरोक लेल दिशा निर्धारित करैत अछि। एक दिन झमझमौआ बरखा होइत रहए आ मेधो गरजै, बिजलोको चमकै, तेज हवो बहैत छलै। तखने रास्तापर भगैत एक आदमीक मृत्यु भ गेलै। बरखा छुटलै। लग-पासक लोक जखन निकलक तँ रास्तापर ओइ आदमीकेँ मरल देखलक। चारू भरसँ लोक जमा भऽ कि‍यो कहैत बादलक आवाजसँ मृत्यु भेलै। तँ कि‍यो किछु कहै आ कि‍यो किछु।
तखने एक अनुभवी आदमी सेहो पहुँचलथि। ओ कहलखिन- जँ आवाजसँ मृत्यु होइतै तँ बहुतो लोक आवाज सुनलक। सबहक होइतै। तँए मृत्यु आवाजसँ नै लगमे ठनका गिरलासँ भेलै।

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