अनुभव
व्यक्ति अपन अनुभवसँ सीखबो करैत अछि आ दोसरोक लेल दिशा
निर्धारित करैत अछि। एक दिन झमझमौआ बरखा होइत रहए आ मेधो गरजै, बिजलोको चमकै, तेज हवो
बहैत छलै। तखने रास्तापर भगैत एक आदमीक मृत्यु भऽ गेलै। बरखा छुटलै। लग-पासक लोक
जखन निकलक तँ रास्तापर ओइ आदमीकेँ मरल देखलक। चारू भरसँ लोक जमा भऽ कियो कहैत बादलक
आवाजसँ मृत्यु भेलै। तँ कियो किछु कहै आ कियो किछु।
तखने
एक अनुभवी आदमी सेहो पहुँचलथि। ओ कहलखिन- “जँ आवाजसँ
मृत्यु होइतै तँ बहुतो लोक आवाज सुनलक। सबहक होइतै। तँए मृत्यु आवाजसँ नै लगमे ठनका
गिरलासँ भेलै।”
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