Friday, April 20, 2012

विहनि कथा-- इयाद

विहनि कथा-- इयाद पिछला साल ।दुर्गा पूजा ।अनेक रंग के प्रकाश सँ सजल मँचक सामने पाकरि गाछ त'र सँ हुनका पर एना नजरि गड़ेने छलौँ जेना जंगल मे शीकारी पशु अपन शिकार पर टकटकी लगेने रहै यै ।ओ एहि सब सँ अंजान छली मुदा हमरा सन कतेको हुनक मुखमण्डलक सौँन्दर्यक रसपान क' रहल छल ।हुनकर रूप के माँग सजल सिनूर और बढ़ा रहल छलै ।नाटकक एक-एक भाव हुनकर मुहक भाव देखैत छलौँ ।हुनकर हँसी सँ हास्य आ डबडबाएल नैन सँ करूण अभिनय के भाव स्पष्ट भ' रहल छल । ओ के छली? जानि नै ,मुदा ओ जे केऊ छली हम हुनका सँ बन्हा गेल छलौँ ।एहि बेर दुर्गापूजा मे मोन नै रहितो .ओहि पाकरि गाछ त'र बैसल छी ।हमर जोड़ा आँखि हुनका खोजि रहल छै मुदा ओ नै छथि ।मोन बड व्याकुल भ' गेल ।पता लगा रहल छी ,जे ओ कत' छथि ।तेसर दिन पता चलल ,हुनक दर्शन आब कहियो नै हेएत ।दहेजानन्द अपन शक्ति बढ़ाब' लेल हुनक बली चढ़ा देलकै ।इ समाज हुनका पाइ लेल मारि देलकै मुदा इयाद के नै मारि सकै यै ।भले हीँ ओ पंचतत्व मे समा गेलनि मुदा ओ नाटकक भाव कहैत मुखमण्डल सदिखन हमर इयाद मे जीबैत रहत , हँसैत रहत ।
अमित मिश्र

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