Thursday, April 12, 2012

कथनी नै करनी :: जगदीश मण्‍डल


कथनी नै करनी

एकटा लोहार तीर बनबैक विद्यामे निपुन छल। तीरो अद्भुत बनबैत छल। तीर बनबैक कलाकेँ सीखैले दोसर लोहार अाबि पुछलक- भाय, तोँ केना वाण बनबै छह, से हमरो कहह।
पहिल लोहार जबाब देलक- भाइ, कहले टा सँ सभ लूड़ि नै होइ छै। तँए हम वाण बनबै छी, तूँ धि‍यानसँ देखह।
सुनि दोसर लोहार लगमे बैस‍ देखए लगल। तखने एकटा बरियाती बगलक रास्तासँ गुजरैत छल। बरियातियो खूब झमटगर। दर्जनो गाड़ी, रंग-बिरंगक बजाक संग सजाबटो सुन्दर रहए। दोसर लोहार, तीर बनौनाइ देखब छोड़ि, बरियाती देखए लगल। जखन बरियाती आँखिक अढ़ भऽ गेल, तखन ओ लोहार बाजल- बड़ सुन्दर बरियाती छलै।
तीर बनबैबला लोहार कहलक- भाय, हमरा ने तखन देखैक फुरसत छल आ ने अखन तोहर बात सुनैक अछि। जाधरि कोनो काजकेँ तत्परतासँ नै कएल जाएत ताधरि काजक सफलताक कोन आश। तँए जे काज तत्परता आ एकाग्रतासँ कएल जाएत, वएह काज सफल हएत।
अफसोस करैत दोसर लोहार सोचए लगल जे एकाग्रताक अभ्यास करब सभसँ जरूरी अछि। जँ से नै करब तँ जीवनमे कहियो कोनो काजमे सफल नै हएब।
ज्ञानक सूत्र कतौसँ भेटए ओकर अंगीकार जरूर करक चाही।

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