Tuesday, April 30, 2013

दलाल

विहनि कथा- दलाल

जिला मुख्यालयक बाहर एकटा घौनगर गाछक छाहरिमे दू टा अधवयसु बक-झक (गपक
माध्यमसँ झगड़ा) कऽ रहल छल।एकटा दलाल छल आ दोसर आम आदमी ।आम आदमी चमकैत
बाजल," हमरा अहाँ मुर्खाधिराज बूझि लेलौं की ?अपन ठेकान नै आ हमरा कानून
पढ़बऽ आबि गेल ।

एते सूनि दलालो जोशमे आबि गेल आ काँख तऽर दाबल कागतक बण्डल पटकि आँखि
तरेरैत बाजल," तँ की हम भिखमंगा बुझाइत छी ? अपन स्वार्थसँ अहाँ आयल छी
।ई हमर कर्मस्थल अछि तें नै तँ सब गरमी झाड़ि दितौं ।

आम आदमीकें गोस्सा चढ़ले रहै आब और बढ़ि गेलै ।थरथराइत देह आ तोतराइत
आवाजमे फुँफकारलक,"सा. . ."गारिसँ सुशोभित करैत," कतबो सूट-बूट लगा ले
रहबें तऽ दलाले ।जनता आ पदाधिकारी दुनूकें ठकै बला दलाल ।तोरा तँ जेलमे
जाएबाक चाही ।

दलाल कने कननमुँह केने बाजल,"हँ, हम दलाल छी मुदा भीतर बैसल पदाधिकारीसँ
नीक छी ओ तँ बिनु मेहनत केने टाका लऽ कऽ कुर्सी आ इज्जत बेच दै छै मुदा
हम मेहनत केलाक बाद टाका लै छी आ किछु नै बेचै छी ।लोककें
चोर-डकैत-घुसखोर नीक लागै छै मुदा कर्मठ-इमानदार नै ।"
आम आदमी चुप भऽ गेल आ एकटा पनसैया आ कागत दलालक हाथमे दऽ देलक ।

अमित मिश्र

Monday, April 1, 2013

भगवानक लेल आइटम गर्ल

विहनि कथा- भगवानक लेल आइटम गर्ल शास्त्री जी जीवन भरि भागवत कथा बाँचैत रहलाह ।आरती, चढ़ाबासँ होइ बाला आमदनीसँ मजामे जिनगी कटैत छलन्हि ।देश-विदेशमे हिनक नाम प्रसिद्ध छलन्हि मुदा किछु दिनसँ भक्तक भीड़ लगातार घटले जा रहल छल ।आब तँ एक साए आदमी पुरनाइ मोशकिल भऽ गेलै ।एहि कारणसँ आमदनी सेहो घटि गेलै ।आयोजककें घटा लागऽ लागलै ।कतबो प्रचार-प्रसार केलाक बादो परिणाम पूर्वबत रहलै ।थाकि-हारि कऽ आयोजक एकटा उपाय सोचलक जे भागवतमे रास, प्रेम आ गोपीक चर्चा तँ छैहे, किएक ने गोपीकें मंचपर उतारल जाए ।अगिला प्रचारमे शास्त्री जीक नामसँ बेसी गोपीक चर्च कएल गेल ।कथाक दिन समयसँ पहिने पण्डाल खचाखच भरि गेलै ।शास्त्री जीकें भक्तक ओर-छोर नै भेटलनि ।मोने-मोन सोचऽ लागलनि जे भगवानोकें अपन कर्म, लीला बतेबाक लेल आ कलयुगमे अपन अस्तित्व बचेबाक लेल आइटम गर्लक सहारा लेबैये टा पड़लै । अमित मिश्र