चल आइये
आश्चर्यचकित भऽ राम
बाजल-
“रहीम भाय,
एक्को महिना मुंबइ एना नै भेल आकि फेर गाम जाइ छेँ। की कारण छै?”
रहीम हँसि कऽ बजला-
“राम भाय,
नाझलुहु। गाममे इलेक्शन हइ न। जोगी मुखिया गामपर खूद आबि कहि गेल ह,
बाहरबलाकेँ भोँट खसाबै लऽ गाम एबाक लेल अबै-जाइक भाड़ा आ दारू फ्री।”
कनीकाल गुम्म भऽ आ
किछु सोचि कऽ राम बाजल- “भाय, हमरा मुंबइ एना एक सप्ताह भेल। ई बात
हमरा नै बुझल छल। जौं ई बात छै तँ चलह आइये।”
डाक डकोबलि
मुस्की दैत मुखियाजी-
“की हौ फेकन भैया। काल्हि नोमिनेशनमे चलबाक छै?”
ऐपर खीसिया कऽ फेकन
बाजल- “कोन सपेत-के यौ?”
आश्चर्यमे पड़ि
मुखियाजी बाजला- “बिसरि गेलहक। काल्हि साँझमे जे पलोथिन लेल दूटा नमरी
देने रहिअह।”
ऐपर मुस्का कऽ फेकन
जबाक देलक- “से तँ मने अछि मुदा लुटनबाबूकेँ केना बिसरि जेबै जे आइ भोरे भोर नोमीनेशनमे
जाइले आ खाइ-पीऐले पाँच सए टाका अपने दऽ गेला। हुनकामे मार्शलक बेवस्था सेहो छै।”
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