Wednesday, April 11, 2012

प्रेम :: जगदीश मण्‍डल


प्रेम

जखन परिवारमे पति-पत्नी आ बच्चा सबहक बीच सि‍नेह रहैत छै तखन परिवार स्वर्गोसँ सुन्दर बूझि पड़ैत छै। नमहरसँ नमहर विपत्ति परिवारमे किएक ने आबए मुदा ढंगसँ चललापर ओहो आसानीसँ निपटि जाइत छै
एकटा छोट-छीन गरीब परिवार छल। दुइये परानी घरमे। सभ साल दुनू परानी -सुनिता आ सुशील- अपन विवाहोत्सव मनबैत। गरीब रहने तँ बहुत ताम-झामसँ उत्सव नै मनबैत मुदा मनबैत सभ साल छल। छोट-मोट उपहार एक-दोसरकेँ, यादि‍ स्वरूप दैत छल। साले-साल ऐ परम्पराकेँ निमाहैत आबि‍ रहल छल।
अहू बर्ख ओ दिन एलै। उत्सवक दिनसँ किछु पहिनहिसँ उपहारक योजना दुनूक मनमे बनए लगलै। मुदा दुनूक हाथ खाली। भरि पेट खेनाइयो ने पूरै तखन जमा कए कऽ की रखैत। मने-मन सुशील योजना बनौने जे पत्नीक केशमे लगबैले क्लीप नै छै तँए ऐ बेर वएह (क्लीप) उपहार देबैक। तहिना सुनितो सोचैत जे पति हाथक घड़ीक चेन पुरान भऽ गेल छन्‍हि तँए ऐ बेर चेन कीन कऽ देबनि। दुनू अपन-अपन जोगारमे। मुदा नाजाइज कमाइ नै रहने जोगारे ने बैसै। उत्सवक दिन अबैमे एक दिन बाकी रहलै। अंतिम समैमे सुशील सोचलक जे आइ साँझमे घड़ी बेचि‍ क्लीप कीन लेब।
इम्‍हर सुनि‍तो सोचलीह‍ जे अपन केश कटा कऽ बेचि‍ लेब तइमे घड़ीक चेन भऽ जाएत। साँझू पहर दुनू गोटे- फुट-फुट बाजार गेल।
सुशील घड़ी बेचि‍ क्लीप कीन लेलक आ सुनिता केश बेचि‍ चेन कीनलक। खुशीसँ दुनू गोटे घर आबि अपन-अपन वस्तु -चेन आ क्लीप- ओरिया कऽ रखि लेलक।
सबेरे सूति उठि कऽ दुनू परानी हँसैत एक-दोसरकेँ उपहार दइले आगू बढ़ल। सुनिता टोपी पहिरने छलि। क्लीप निकालि सुशील सुनिताक टोपी हटा क्लीप लगबए चाहलक मुदा केशे नै। तहिना चेन निकालि सुनिता घड़ीमे लगबए चाहलनि तँ हाथमे घड़िये नै।
आमने-सामने दुनू ठाढ़। दुनूक मुँहसँ तँ किछु नै निकलैत मुदा दुनूक हृदैमे हर्ष-विस्मयक बीच घमासान लड़ाइ छिड़ि‍ गेल। अंतमे हृदए बाजल- जे सिनेह दूधक समुद्रमे झिलहोरि खेलैत अछि ओकरा लेल क्लीप आ चेनक कोन महत छै

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