Wednesday, April 11, 2012

भूल :: जगदीश मण्‍डल


भूल

प्रख्यात दार्शनिक वरटेªण्ड रसेल अपन जीवनीमे लिखने छथि, जे हमर पहिल स्त्री सचमुच विचारवान छलीह। जखन ओ मन पड़ै छथि तखन हृदए दहकि जाइत अछि। दुनू गोटेक बीच अगाध प्रेम छल। एक दिन कोनो बाते दुनू गोटेक बीच अनबन भऽ गेल। खिसिया कऽ हम बिनु खेनहि आॅफिस विदा भऽ गेलौं। रास्तामे एकाएक मनमे उपकल जे अपन क्रोधक बात पत्नीकेँ कहि दिअनि। रस्तेसँ घुमि‍ गेलौं। घुमि‍ कऽ घर एलापर पत्नी घुमैक कारण पुछलनि। हमर क्रोध आरो उग्र भऽ गेल। हम कहलियनि- आब अहाँले हमरा हृदैमे मिसिओ भरि जगह नै अछि।
पतिक बात सुनि पत्नी स्तब्ध भऽ गेल मुदा किछु बाजलि नै। वेचारीक हृदैमे ई बात जरूर पकड़ि लेलकनि जे हमरा ओ -पति- कपटी बुझैत छथि। आइ धरि हम भ्रममे छलौं।
दुनूक बीच खाइ बढ़ैत गेलै। होइत-होइत पति पत्नीकेँ तलाक दऽ देलक। वेचारी रसेलक घरसँ सदा-सदाक लेल चलि गेल।

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