Monday, April 9, 2012

विजय हरीश - भावी–रणनीति


हम बच्चा सभकेँ ट्यूशन पढ़बैत छलहुँ। एक ठाम नव ट्यूशन शुरू करबाक छल। हम ओतए पहुँचलहुँ। मौसम कने गर्म छल। कुर्सीपर बैसते गमछासँ हाथमुँहपोछए लगलहुँ।
तखने कुसंयोगे हमरा दहिना आँखिमे किछु पड़ि गेल। आँखि लिबिरलिबिर करए लागल। बगलेमे बच्चा सभक दादी बैसल छलि। ओ हमरा दिस कने नजरि कड़ा करैत बाजि उठलीह–“हो मास्टर! आइ तोहर पहिले दिन छिअ आ हमरा तोहर छिच्छा नीक नञि बुझबै छअ
हुनकर ई गप्प हमरा टिकासन धरि लेसि देलक। मुदा हम पितमरू भेल हुनका कहलियनि–“नञि माताराम कोनो तेहेन गप्प नञि छै। हम तँ अपनेक आँखिक रोशनी टेस्ट करैत छलहुँ। किएक तँ ओहि हिसाबे ने हम अपन भावीरणनीति तेँ करब

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