मैक्सिम गोर्की
बच्चेसँ मैक्सिम गोर्की निराश्रित भऽ गेल रहथि। ओइ
दशामे जीबैक लेल झाड़ू लगौनाइसँ लऽ कऽ चौका-बर्तन, चौकीदारी सभ काज केलनि। कएक दिन तँ
कूड़ा-कचड़ाक ढेरीसँ काजक वस्तु ताकि-ताकि निकालि, बेचि कऽ अपनो आ बुढ़ नानीक पेटक आगि
मुझबथि। एहेन परिस्थितिमे पढ़ब-लिखब असाघ्य कार्य थिक। एहेन असाध्य परिस्थितिसँ मुकाबला
कऽ अनुकूल बनौनिहार मैक्सिम गोर्कीयो भेलाह।
रद्दी-रद्दी पत्रिका, फाटल-पुरान अखबार सभ एकत्रित कऽ
पढ़नाइ सिखलनि। जखन पढ़ैक जिज्ञासा बढ़लनि तखन समए बचा कऽ वाचनालय जाए लगलाह। रसे-रसे
लिखैक अभ्यास सेहो करए लगलथि। कोनो-कोनो बहाना बना साहित्यकार सभसँ संबंध बनबए लगलथि।
मैक्सिम गोर्की जे किछु ओ लिखथि ओकरा साहित्यकार सभसँ सुधार करबथि।
वएह मैक्सिम गोर्की रूसक महान् साहित्यकार भेलाह। अन्यायी
शासनक विरुद्ध जनताक अधिकारक लेल सिर्फ लिखबे टा नै करथि बल्कि हुनका सबहक बीच जा
संगठित आ संघर्षक नेतृत्व सेहो करथि। जखन हुनकर लिखल पोथी तेजीसँ बिकए लगल तखन ओ अपन
खर्च निकालि बाकी सभ पाइ संगठन चलबैले दऽ देथिन।
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