Thursday, April 12, 2012

जखने जागी तखने परात :: जगदीश मण्‍डल

जखने जागी तखने परात

प्रसिद्ध उपन्‍यासकार डाॅक्टर क्रोनिन बड़ गरीब रहथि। मुदा जखन पी.एच.डी. केलनि आ किताब सभ बिकए लगलनि तखन धीरे-धीरे सुभ्यस्त हुअए लगलथि। धनकेँ अबैत देखि‍ मनो बढ़ए लगलनि। क्रिया-कलाप सेहो बदलए लगलनि। क्रिया-कलापकेँ बदलैत देखि‍ पत्नी कहलकनि- जखन हम सभ गरीब छलौं तखने नीक छलौं जे कमसँ कम हृदैमे दयो तँ छल। मुदा आब दया समाप्त भेल जा रहल अछि
पत्नीक बात सुनि क्रोनिन महसूस करैत कहलखिन- ठीके कहलौं। धनीक धनसँ नै होइत बल्कि मन हृदैसँ होइत अछि। हम अपन रास्तासँ भटैक गेल छी। जँ अहाँ नै चेतबि‍तौं तँ हम आरो आगू बढ़ि ओइ‍ जगहपर पहुँचि‍ जैतौं जतए एक्कोटा मनुक्खक बास नै होइ छै।

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