जुगक खेल-
अंतिम साउनमे झमकौआ बर्खा भेल।
चर-चांचर, पोखरि-झाखरि, डबड़ा-डुबड़ी, खाधि-खुधि सभ भरि गेल जेना धड़तीये डूमि
गेल। माटिक तरसँ पीअर-पीअर बेंग निकलि-निकलि पानिमे हेलए लागल। तान दऽ दऽ
गेबो करए आ कुदि-कुदि एक-दोसरपर सवाड़िओ कसैत छल। एक-दोसरपर चढ़ैत-चढ़ैत तीनटा बेंगक सीढ़ी नुमा खाढ़ी बनि गेल। ऊपरका मोछ टेरैत झुमि-झुमि गबैत छल- “बेंगे छी तँ छी
राजा तँ हमहीं छी।”
अधखिल्लू फूल जकाँ बीचला बजैत
रहए- “जेहने
तर तेहने ऊपर। दुनू एक्के रंग।”
बोझक तरमे दबाएल निचला कुहरि-कुहरि
मिरमिड़ाइत रहए- “गेलौं
तँ हम गेलौं। गेलौं तँ हम गेलौं। गेलौं तँ हम गेलौं।”
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