Friday, April 6, 2012

अनमोल झा - विहनि कथा- आँखिक पानि



डेरा पहुँचि चश्मा उतारैत देरी पाँच सालक हमर बुच्ची कहैत अछि, पापा अहाँ कनैत किए छी?, अहाँ आँखिमे नोर अछि।, ऑफिसमे मास्टर मारलकहेँ की?, आदि-आदि एके संगे कएकटा प्रश्न ओ कऽ देने रहए तखन। ओ बुझैत अछि जेना हम सभ इसकूल जाइत छी पढ़ए ओहिना पापा सेहो ऑफिस पढ़ए जाइत छथि।
नै बेटा हम कनै कहाँ छी। ओ ओहिना नोरा गेल अछि आँखि। ओ कहैत अछि- नै पापा अहाँ झूठ बजै छी, निश्चय अहाँ टास्क नै बना कऽ लऽ गेल हेबै तैँ मारने हएत मैडम। हम तँ अपन टास्क बना लेलहुँ। अहूँ बना लिअ पपा ने।
हम तखन सोचऽ लागल रही जे हमरा आँखिमे कनी नोरक रेख देखि एतेक चिन्तित भऽ गेल अछि बुच्ची। आ वएह हमरा सभ छी जे एतेकटा भइयो कऽ माय आ बाबूक झहरैत नोरक धार दिस नै जाइत अछि नजरि कहियो...!!

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