Monday, April 9, 2012

विजय हरीश- छींट बला गमछा



हम हुनका दिस दैखलियै तँ ओ बैसले-बैसल मुस्किया देलखिन। कने आर लग जे गैलियै तँ ओ खिलखिला कऽ हँसि देलखिन। हम अतिउत्साहित भऽ हुनक आरो लग जे गैलियै तँ ओ कने सइटि कऽ कानमे कहलखिन–“भाइयौ हमहुँ अहींक जातिबिरादरी छी। आ अपन माथ परक छींटबला गमछा हटा देलखिन।

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