Wednesday, April 11, 2012

मेहनति‍क दरद :: जगदीश मण्‍डल


मेहनति‍क दरद

एकटा लोहार छल। मेहनति‍ आ लूरिसँ परिवार नीक-नहाँति चलबैत छल। मुदा बेटा जेहने खर्चीला तेहने कामचोर छलैक। बेटाक चालि-चलनि देखि‍ लोहारकेँ बड़ दुख होय। सभ दिन दशटा गारि आ फज्झति बेटाकेँ करए मुदा तैयो बेटा लेल धनि सन। कोनो गम नै। लोहार सोचलक जे ई एना नै मानत। जाबे एकरा खर्च करैले पाइ देनाइ नै बन्न कऽ देबै ताबे एहिना करैत रहत। दोसर दिनसँ पाइ देब बन्न कऽ कहलकै- अपन मेहनति‍सँ चारियोटा चौबन्नी कमा कऽ ला तखन खर्च देबौ। नै तँ एक्को पाइ देखब सपना भऽ जेतौ।
बापक बात सुनि बेटा कमाइक प्रयास करए लगल। मुदा लूरिक दुआरे हेबे ने करै। अपन पछि‍ला रखल चारिटा चौबन्नी लेने पिता लग आबि कऽ देलक। पिता भाथी पजारि हँसुआ बनबैत छल। चारू चौबन्नीकेँ आगिमे दऽ कहलकै- ई पाइ तोहर कमाएल नै छियौ।
पिताक बात सुनि बेटा लजाइत ओतएसँ ससरि गेल।
दोसर दि‍न चुपचाप माएसँ चारिटा चौबन्नी मंगलक। माए देलकै। चारू चौबन्नी लेने बेटा बाप लग पहुँचल। बेटाक मुँहे देखि‍ पि‍ता बूझि गेल। चारू चौबन्नी बेटा बापकेँ देलक। भीतरसँ बापकेँ तामस रहबे करै। ओ चारू चौबन्नी हाथमे लऽ पुनः आगिमे फेकि‍ देलक।
पि‍ताक काज देखि‍ बेटा बुझलक जे बि‍ना कमेने काज नै चलत। तखन ओ मेहनति‍ करए लगल। तेसर दि‍न चारि‍टा चौबन्नी बापक हाथमे देलक। चारू चौबन्नीकेँ लोहार पहि‍लुके जकाँ आगि‍मे फेकए लगल। आकि हल्ला करैत बेटा बापक हाथ पकड़ि बाजल- बाबू, ई हमर मेहनति‍क पाइ छी। एकरा किअए बेदरदी जकाँ नष्ट करै छिऐ?”
बाप बूझि गेल। मुस्कुराइत बेटाकेँ कहए लगल- बेटा, आब तूँ बुझलेँ जे मेहनति‍क कमाइक दरद केहेन होइ छै। जाधरि अन्ट-सन्टमे हमर कमेलहा खरच करै छलेँ ताधरि‍ हमरो एहने दरद होइ छलए।
पिताक बात बेटा बूझि गेल तखने सप्‍पत खेलक जे आइ दि‍नसँ एक्को पाइ फालतू खर्च नै करब।

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