Thursday, April 5, 2012

चण्डेश्वर खाँक दूटा विहनि कथा- चेकिङ


चेकिङ

बजार दिससँ आबि थाना चौक होइत, ट्रेजरी दिस जाइत रही। थाना चौकपर भीड़ देखि किछु कालक लेल हहमूँ ठमकि गेलहुँ।

ओना थाना चौकपर बरोबरि भीड़ होइत रहैत छैक, कहियो काल कऽ किछु अपराधी पकड़ि कऽ आनल जाइत अछि तँ किछु कालक लेल भीड़ होइत अछि। कहियो काल कऽ हड़तालीक गिरफ्तारीक लेल भीड़ होइत अछि।

मुदा आइ से सभ नै छल। बहुत रास मोटर साइकिल थाना परिसरमे पकड़ा कऽ राखल छलैक आ जकर सभ कागच-पता ठीक-ठाक तकरा छोड़ि देल जाइत रहैक।

थानाक गेटपर दर्जनसँ बेसी सैपक जवान आ किछु बिहार पुलिस। ओहि बाट धऽ कऽ जतेक मोटर साइकिल चलैत छल, सभकेँ रोकैत छल आ कागच-पता देखल जाइत रहैक। कागज-पता देखबा लेल फराकसँ पुलिस हाकिम सभ छलाह।

ओना किछु लोककेँ कागच-पता ठीक-ठाक रहला बादो किछु कालक लेल बिलमा लैत रहैक, बादमे ओकरा सभकेँ कोना छोड़ल जाइत रहैक से नै कहब।

एकटा बीस-बाइस वर्षक जुआन छौँड़ाक मोटरसाइकिलक चेकिङ गेटपर भऽ गेल रहैक, ओकर सभ कागच-पत्तर ठीक-ठाक रहैक, तैयो ओकरा भीतर लऽ गेलैक। ओ छौँड़ा गरजऽ लागल, जखन हमर सभ कागच-पत्तर ठीक अछि तखन ई किएक। ओकरा जोरसँ बजलापर ओहिमेसँ एकटा हाकिम तरा-तरि पाँच थापर लगा देलकैक आ थानाक हाजतमे ठेलि देलकैक। ओ जहाँ-तहाँ फोन कएलक।

ता हम ट्रेजरी दिस बिदा भऽ गेल रही। आधा घंटाक बाद घुरलापर देखल जे थाना चौकपर साफ सुन्न-साम भऽ गेल छल।





कोटा
राजेशजी! अहाँ तँ दलित कोटामे अबैत छी, तेँ अहाँक सीट सुरक्षित अछि। मोहनजी, अहाँ तँ महादलितमे सँ अबैत छी तेँ अहाँक सीट महासुरक्षित अछि। अहाँकेँ के रोकत। विभाजी, पचास प्रतिशतमे अहाँ बाजी मारिए लेब मुदा हमर प्रथम श्रेणीबला डिगरीक की हेतैक? हम तँ ने डोनेशनमे सकबै आ ने रिजर्वेशनमे अएबै।

(साभार विदेह विहनि कथा विशेषांक अंक ६७- www.videha.co.in)

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