Thursday, April 5, 2012

अमरनाथ- विहनि कथा- स्वीच ऑफ

स्वीच ऑफ

  मोबाइलमे इजोत भेलै। कने पहिने घनघनेलै। अथवा दुनू एके संगे भेलै। देखलनि तँ पत्नीक एस.एम.एस. छलनि-

“मोबाइलक अदला-बदली भऽ गेल। अहाँक मोबाइल हमरा लगमे अछि। ओहिमे रंग-बिरंगी महिला सभक फोटो अछि।...अहाँ हमरा एते दिन अन्हारमे रखने छलहुँ। ओहिमे स्वीटी अग्रवालक सेहो फोटो छै, जकर आँखि नचैत रहै छै। हम बैसल रहैवाली महिला नै छी जे नेप चुबबैत सहि लेब। से बूझि लिअ! ”

पहिने नस तनेलनि। क्रोधमे हिनकर नाक फड़कऽ लगलनि। मोबाइलक बटनकेँ दबलनि। जवाब टाइप करऽ लगलाह-

  “अहाँ तँ छोटसन बातपर धरती-आसमान एक कऽ देलिऐ। एहन सन क्रम जे अहाँक सिउँथमे सिनुर देलहुँ तँ सौंसे अहींक इच्छासँ ली।... जे जे मौगी नीक लगैत गेल, फोटो लैत गेलिऐ। तकर कैफियत की? ”..पठा देलथिन एस.एम.एस.।

तत्काले पत्नीक जवाब अएलनि, “अहाँ तँ तिलकेँ ताड़ बना देलिऐक। मन सुगबुगएल तँ पुछबि नै करू। ओना वएह लड़ैए जकर पएरमे ताकति रहैत छै! से हमरामे जहिया होएत, जवाब देब। ”

एस.एम.एस. दू बेर पढ़लनि आ मोबाइलक स्वीच ऑफ कऽ लेलनि।


(साभार विदेह विहनि कथा विशेषांक अंक ६७- www.videha.co.in)

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