Friday, April 6, 2012

गद्य साहित्य मध्य विहनि कथाक स्थान आ विहनि कथाक समीक्षाशास्त्र




गद्यक विभिन्न विधा जेना प्रबन्ध, निबन्ध, समालोचना, कथा-गल्प, उपन्यास, पत्रात्मक साहित्य, यात्रा-संस्मरण, रिपोर्ताज आदिक मध्य कथा-गल्प, आख्यान आ उपन्यास अनुभव मिश्रित कल्पनापर विशेष रूपसँ आधारित अछि। जकरा हम सभ खिस्सा-पिहानी कहै छिऐ ताहिसँ ई सभ लग अछि। मध्य कथा-गल्प, आख्यान आ उपन्यास आ किछु दूर धरि नाटक आ एकांकी मनोरंजनक लेल सुनल-सुनाओल-पढ़ल जाइत अछि वा मंचित कएल जाइत अछि। ई उद्देश्यपूर्ण भऽ सकैत अछि वा एहिमे निरुद्देश्यता-एबसडिटी सेहो रहि सकै छै- कारण जिनगीक भागदौड़मे निरुद्देश्यपूर्ण साहित्य सेहो मनोरंजन प्रदान करैत अछि। 

विहनि कथा कहने एकटा एहेन विधा बनि सोझाँ आएल अछि जे पहिने कथा थिक फेर विहनि कथा। विहनि कथा, कथा, दीर्घ कथा, उपन्यास, नाटक आ एकांकी एकटा अनुभव मिश्रित कल्पनापर आधारित अछि। अंग्रेजीमे सेहो लम्बाइक आधारपर शॉर्ट-स्टोरी/ नोवेलेट/ नोवेला/ नोवेल क विभाजन कएल जाइत अछि जे क्रमसँ विहनि कथा, कथा, दीर्घ कथा आ उपन्यास लेल प्रयुक्त कएल जा सकैत अछि। मैथिलीमे सभ विधामे शब्द संख्याक घटोत्तरी-बढ़ोत्तरी अंग्रेजी वा दोसर यूरोपियन भाषासँ बेशी होइत अछि, ओना  अंग्रेजी वा दोसर यूरोपियन भाषामे सेहो सभ विधामे लेखकक व्यक्तिगत रुचि आ कथ्यक आवश्यकताक अनुसार घटोत्तरी-बढ़ोत्तरी होइते अछि। तहिना वन-एक्ट प्ले भेल एकांकी आ प्ले भेल नाटक।

से विहनि कथा कथा तँ छीहे।

अहाँक अनुभवमिश्रित कल्पना अहाँसँ किछु कहबा लेल कहैत अछि। आ ई कथ्य हास्य-कणिका वा अहास्य-कणिका बनि सकैत अछि। लोक अहाँकेँ कहि सकै छथि जे अहाँकेँ गप्प बड्ड फुराइए, अहाँ हाजिर जवाब छी। आ तकर बाद अहाँक हिम्मत बढ़ैत अछि आ अहाँ ओहि कथ्यकेँ शिल्पक साँचामे ढलैय्या कऽ विहनि कथा बना दै छी।

हास्य-कणिकाक संग सभसँ मुख्य अवरोध छै जे अहाँक सुनाओल हास्य-कणिका घूमि-फिरि अहीं लग आबि जाएत, माने मौलिकता कतौ हेरा जाएत। हास्य-कणिका सेहो एक-दू पाँतीसँ आध-एक पृष्ठ धरिक होइत अछि। कथा-उपन्यासमे एकर समावेश कएल जा सकैत अछि मुदा विहनि कथा एकर पलखति नै दैत अछि। मुदा कथा-उपन्यासमे जेना कएल जाइत अछि जे एकरा कोनो पात्रक मुँहसँ कहाबी वा कोनो आन प्रसंगसँ जोड़ि सार्थक बनाबी तँ से अहाँ विहनि कथामे सेहो कऽ सकै छी। गल्प आख्यानसँ होइत अछि आ नैतिक शिक्षा, प्रेरक कथा आ मिस्टिक टेल्स सेहो लघुसँ दीर्घ रूप धरि होइत अछि। एकर लघु रूप विहनि कथा नै भेल सेहो नै।
विहनि कथामे जे त्वरित विचारक उपस्थापन देखल जाइत अछि से कथा-गल्प आ उपन्यासमे सेहो रहैत अछि। मुदा जे त्वरित विचारक उपस्थापन नै रहलासँ ओ विहनि कथा नै रहत सेहो गप नै। उनटे जखन विहनि कथाक समीक्षा करए लागब तखन समीक्षकक ध्यान स्थायी तत्व दिस होएबाक चाही नै कि त्वरित उपस्थापन दिस। त्वरित विचारक उपस्थापनक प्रति बेसी झुकाव ओकरा अहास्य-कणिका बना दैत अछि, ओ विहनि कथा तँ रहत मुदा श्रेष्ठ विहनि कथा नै रहत। विहनि कथा झमारि देत तँ ओ विहनि कथा वा श्रेष्ठ विहनि कथा भेल आ जे ओ झमारि नै सकत तँ ओ विहनि कथा भेबे नै कएल- ई गप नै छै। कोनो त्वरित विचार आएल, ओकरा कागचपर लिखि लेलहुँ, एहि डरसँ जे कतौ बिसरा ने जाए- एतऽ धरि तँ ठीक अछि। मुदा हरबड़ा कऽ एकरा विहनि कथा बना देबासँ पहिने विचारकेँ सीझऽ दिऔ। ओहिमे की मिज्झर करब तँ ओहिमे स्थायी तत्व आबि सकत ताहिपर मनन करू। ओना बिना सिझने जे झमारैबला विहनि कथा लिखि देलहुँ तँ ओ विहनि कथा तँ भेल मुदा श्रेष्ठ विहनि कथा ओ सेहो भऽ सकत तकर सम्भावना कम। ई ओहिना अछि जेना कोनो झमकौआ गीत अपन प्रभाव बेसी दिन रखबे करत से निश्चित नै अछि तहिना कथाक ई स्वरूप ट्वेंटी-ट्वेंटी सन नै भऽ जाए ताहिपर विचार करए पड़त।
  
उपन्यास तँ एक उखड़ाहामे नै पढ़ल जा सकैए मुदा कथा एक उखड़ाहामे पढ़ल जा सकैत अछि। एक उखड़ाहामे अहाँ कएकटा विहनि कथा पढ़ि सकै छी। उपन्यासमे लेखक वातावरणक, प्लॉटक, व्यक्तिक जाहि विशदतासँ वर्णन कऽ सकैए से कथामे सम्भव नै। ओ एकटा पक्षपर/ जौँ कही तँ एकटा घटनापर केन्द्रित रहैए आ एहि क्रममे वातावरण आ व्यक्तिक जीवनक एकटा मोटामोटी विवरणात्मक स्केच मात्र खेंचि पबैए। विहनि कथामे वातावरण आ व्यक्तिक जीवनक एकटा मोटामोटी विवरणात्मक स्केच सेहो नै खेंचि सकै छी, से पलखति विहनि कथा अहाँकेँ नै देत, हँ तखन विहनि कथा सेहो एकटा पक्षपर वा एकटा घटनापर केन्द्रित रहैए। आ ई पक्ष वा घटना तेहन रहत जे लेखककेँ ललचबइत रहत जे एकरा स्वतंत्र रूपसँ लिखू, एकरा कथा वा उपन्यासक भाग बना कऽ एकर स्वतंत्रता नष्ट नै करू।

तखन उपन्यासक प्लॉटसँ कथाक प्लॉट सरल होएत आ विहनि कथाक लेल तँ एकर आवश्यकते नै अछि, पक्ष वा घटनाक वर्णन शिल्पक साँचामे ढलैय्या केलहुँ आ पूर्ण विहनि कथा बनि कऽ तैयार।


विहनि कथाक समीक्षाशास्त्र
विहनि कथाक समीक्षा कोना करी? दू-पाँतीसँ डेढ़-दू पन्ना धरिक (पाँच पन्ना धरि सेहो) अनुभवमिश्रित काल्पनिक खिस्सा विहनि कथा कहएबाक अधिकारी अछि। लघु आकारक कथामे कोनो कथा पूर्ण रूपसँ कहल गेल तँ फेर ओ विहनि कथा नै कहाओत। हँ जे ओहिमे एकटा घटनाक शृंखलाक वर्णन एकटा कथ्य कहक लेल आवश्यक अछि तँ शृंखला पूर्ण होएबाक चाही। एहि शृंखलाक कड़ी कनेक नमगर भऽ सकैए। त्वरित उपस्थापनाक हरबड़ी एहि शृंखलाकेँ कमजोर कऽ सकैए। सदिखन उल्टा धार बहाबी आ त्वरित उपस्थापना आनी- ई पद्धति किछु गणमान्य विहनि कथा लेखकक फार्मूला बनि गेल अछि। एकाध-दूटा विहनि कथामे ई सिनेमाक “आइटम गीत” सन सोहनगर लगैत अछि मुदा फेर समीक्षकक दृष्टि एकरा पकड़ि लैत अछि, कारण ई प्रो-एक्टिव होएबाक साती रिएक्टिव बनि जाइत अछि। स्थायी प्रभाव एहिसँ नै आबि पबै छै, विहनि कथा लेखकक प्रतिभाक कमी एहिमे प्रतीत होइ छै। विहनि कथा वएह श्रेष्ठ होएत जे एकटा घटनाक शृंखलाक निर्माण करत आ अपन निर्णय सुनेबाक लेल पाठककेँ छोड़ि देत। फरिछेबाक पलखति विहनि कथाकेँ नै छै, मुदा तकर माने ई नै जे दू-चारि पाँतीमे बात कएल जाए। मुदा लेखक जौँ दू-चारि पाँतीक गपकेँ विहनि कथा कहै छथि तँ समीक्षक ओकरा विहनि कथा मानबा लेल बाध्य छथि मुदा ओ श्रेष्ठ विहनि कथा होएत तकर सम्भावना घटि जाइत अछि। 
विहनि कथाक वर्ण्य विषय मात्र चलैत-फिरैत घटना नै अछि। विहनि कथा-लेखककेँ बच्चाक लेल, नैतिक शिक्षाक लेल आ धार्मिक विषयपर सेहो विहनि कथा लिखबाक चाही। ट्रेनमे बसमे जाइ छी, घरमे दलानपर घूरतर गप करै छी आ तकर अनुभव मात्र विहनि कथामे आबि रहल अछि। सामाजिक आ आर्थिक समस्या सेहो एकर स्थायी वर्ण्य विषय भऽ सकैत अछि। राजनैतिक प्रश्न आ प्राकृतिक आपदाकेँ वर्ण्य विषय बनाओल जा सकैत अछि। विहनि कथा समीक्षक समीक्षा करबा काल पौराणिक रूपमे शिव पुराणमे सभसँ पैघ शिव  आ गरुड़ पुराणमे सभसँ पैघ गरुड़ एहि तरहक समीक्षा नै करथि। माने ई नै होमए लागए जे, जे अछि से विहनि कथा। जेना उपन्यासमे लेखककेँ अपन पूर्ण प्रतिभा देखेबाक लेल पलखतिक अभाव नै रहै छै से कथामे नै रहै छै आ विहनि कथामे तँ से आरो कम रहै छै। मुदा विषयक विस्तार कऽ पाठकक माँगकेँ पूर्ण कएल जा सकैत अछि। कथोपकथनक गुंजाइश कम राखि वा कोनो उपस्थापनासँ पहिने राखि विहनि कथा आ कथाकेँ सशक्त बनाओल जा सकैत अछि, अन्यथा ओ एकांकी वा नाटक बनि जाएत। विहनि कथाक समावेश कथा-उपन्यासमे भऽ सकैए मुदा विहनि कथामे हास्य-कणिकाक समावेश नै हुअए तखने ओ समीक्षाक दृष्टिसँ होएत, कारण एक तँ कम जगह, ताहिमे जे कथोपकथन आ हास्य कणिका घोसियेलहुँ तखन ओकर प्रभाव दीर्घजीवी नै होएत।

नीक विहनि कथा त्वरित उपस्थापनक आधारपर नै वरन ओहिमे तीक्ष्णतासँ उपस्थापित मानव-मूल्य, सामाजिक समरसताक तत्व आ समानता-न्याय आधारित सामाजिक मान्यताक सिद्धान्त आधार बनत। समाज ओहि आधारपर कोना आगू बढ़ए से संदेश तीक्ष्णतासँ आबैए वा नै से देखए पड़त। पाठकक मनसि बन्धनसँ मुक्त होइत अछि वा नै, ओहिमे दोसराक नेतृत्व करबाक क्षमता आ आत्मबल अबै छै वा नै, ओकर चारित्रिक निर्माणक आ श्रमक प्रति सम्मानक प्रति सन्देह दूर होइ छै वा नै- ई सभटा तथ्य विहनि कथाक मानदंड बनत। कात-करोटमे रहनिहार तेहन काज कऽ जाथि जे सुविधासम्पन्न बुते नै सम्भव अछि, आ से कात-करोटमे रहनिहारक आत्मबल बढ़लेसँ होएत। हीन भावनासँ ग्रस्त साहित्य कल्याणकारी कोना भऽ सकत? बदलैत सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक-धार्मिक समीकरणक परिप्रेक्ष्यमे एकभग्गू प्रस्तुतिक रेखांकन, कथाकार-कविक व्यक्तिगत जिनगीक अदृढ़ता, चाहे ओ वादक प्रति होअए वा जाति-धर्मक प्रति, साहित्यमे देखार भइए जाइत छैक, शोषक द्वारा शोषितपर कएल उपकार वा अपराधबोधक अन्तर्गत लिखल जाएबला कथामे जे पैघत्वक (जे हीन भावनाक एकटा रूप अछि) भावना होइ छै, तकरा चिन्हित कएल जाए। मेडियोक्रिटी चिन्हित करू- तकिया कलाम आ चालू ब्रेकिंग न्यूज- आधुनिकताक नामपर। युगक प्रमेयकेँ माटि देबाक विचार एहिमे नहि भेटत, आधुनिकीकरण, लोकतंत्रीकरण, राष्ट्र-राज्य संकल्पक कार्यान्वयन, प्रशासनिक-वैधानिक विकास, जन सहभागितामे वृद्धि, स्थायित्व आ क्रमबद्ध परिवर्तनक क्षमता,  सत्ताक गतिशीलता,  उद्योगीकरण,  स्वतंत्रता प्राप्तिक बाद नवीन राज्य राजनैतिक-सामाजिक-आर्थिक-सांस्कृतिक समस्या-परिवर्तन आ एकीकरणक प्रक्रिया, कखनो काल परस्पर विरोधी। सामुदायिकताक विकास, मनोवैज्ञानिक आ शैक्षिक प्रक्रिया।  आदिवासी- सतार, गिदरमारा आदि विविधता आ विकासक स्तरकेँ प्रतिबिम्बित करैत अछि। प्रकृतिसँ लग, प्रकृति-पूजा, सरलता, निश्छलता, कृतज्ञता। व्यक्तिक प्रतिष्ठा स्थान-जाति आधारित। किछु प्रतिष्ठा आ विशेषाधिकार प्राप्त जाति। किछुकेँ तिरस्कार आ हुनकर जीवन कठिन। महिला आ बाल-विकास- महिलाकेँ अधिकार, शिक्षा-प्रणालीकेँ सक्रिय करब, पाठ्यक्रममे महिला अध्ययन, महिलाक व्यावसायिक आ तकनीकी शिक्षामे प्रतिशत बढ़ाओल जाए।स्त्री-स्वातंत्र्यवाद, महिला आन्दोलन।धर्मनिरपेक्ष- राजनैतिक संस्था संपूर्ण समुदायक आर्थिक आ सामाजिक हितपर आधारित- धर्म-नस्ल-पंथ भेद रहित। विकास आर्थिकसँ पहिने जे शैक्षिक हुअए तँ जनसामान्य ओहि विकासमे साझी भऽ सकैए। एहिसँ सर्जन क्षमता बढ़ैत अछि आ लोकमे उत्तरदायित्वक बोध होइत अछि। विज्ञान आ प्रौद्योगिकी विकसित आ अविकसित राष्ट्रक बीचक अंतरक कारण मानवीय समस्या, बीमारी, अज्ञानता, असुरक्षाक समाधान- आकांक्षा, आशा सुविधाक असीमित विस्तार आ आधार। विधि-व्यवस्थाक निर्धन आ पिछड़ल वर्गकेँ न्याय दिअएबामे प्रयोग होएबाक चाही। नागरिक स्वतंत्रता- मानवक लोकतांत्रिक अधिकार, मानवक स्वतंत्र चिन्तन क्षमतापूर्ण समाजक सृष्टि, प्रतिबन्ध आ दबाबसँ मुक्ति। प्रेस- शासक आ शासितक ई कड़ी- सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक जीवनमे भूमिका, मुदा आब प्रभावशाली विज्ञापन एजेंसी जनमतकेँ प्रभावित कएनिहार। नव संस्थाक निर्माण वा वर्तमानमे सुधार, सामन्तवादी, जनजातीय, जातीय आ पंथगत निष्ठाक विरुद्ध, लोकतंत्र, उदारवाद, गणतंत्रवाद, संविधानवाद, समाजवाद, समतावाद, सांवैधानिक अधिकारक अस्तित्व, समएबद्ध जनप्रिय चुनाव, जन-संप्रभुता, संघीय शक्ति विभाजन, जनमतक महत्व, लोक-प्रशासनिक प्रक्रिया-अभिक्रम, दलीय हित-समूहीकरण, सर्वोच्च व्यवस्थापिका, उत्तरदायी कार्यपालिका आ स्वतंत्र न्यायपालिका। जल थल वायु आ आकाश- भौतिक रासायनिक जैविक गुणमे हानिकारक परिवर्तन कए प्रदूषण, प्रकृति असंतुलन। कला- एहि लेल कोनो सैद्धांतिक प्रयोजन होएबाक चाही ? जगतक सौन्दर्यीकृत प्रस्तुति अछि कला। सौंदर्यक कला उपयोगिताक संग। कलापूर्णताक कलाक जीवन दर्शन- संप्रदाय संग। भावनात्मक वातावरण- सत्यक आ कलाक कार्यक सौंदर्यीकृत अवलोकन, सुन्दर-मूर्त, अमूर्त। मानसिक क्रिया- मनुष्य़ सोचैबला प्राणी, मानसिक आ भौतिक दुनूक अनुभूति करएबला प्राणी। विरोधाभास वा छद्म आभास- अस्पष्टता। मार्क्सवाद उपन्यासक सामाजिक यथार्थक ओकालति करैत अछि। फ्रायड सभ मनुक्खकेँ रहस्यमयी मानैत छथि। ओ साहित्यिक कृतिकेँ साहित्यकारक विश्लेषण लेल चुनैत छथि तँ नव फ्रायडवाद जैविकक बदला सांस्कृतिक तत्वक प्रधानतापर जोर दैत देखबामे अबैत छथि। नव-समीक्षावाद कृतिक विस्तृत विवरणपर आधारित अछि। उत्तर आधुनिक, अस्तित्ववादी, मानवतावादी, ई सभ विचारधारा दर्शनशास्त्रक विचारधारा थिक। पहिने दर्शनमे विज्ञान, इतिहास, समाज-राजनीति, अर्थशास्त्र, कला-विज्ञान आ भाषा सम्मिलित रहैत छल। मुदा जेना-जेना विज्ञान आ कलाक शाखा सभ विशिष्टता प्राप्त करैत गेल, विशेष कए विज्ञान, तँ दर्शनमे गणित आ विज्ञान मैथेमेटिकल लॉजिक धरि सीमित रहि गेल। दार्शनिक आगमन आ निगमनक अध्ययन प्रणाली, विश्लेषणात्मक प्रणाली दिस बढ़ल। मार्क्स जे दुनिया भरिक गरीबक लेल एकटा दैवीय हस्तक्षेपक समान छलाह, द्वन्दात्मक प्रणालीकेँ अपन व्याख्याक आधार बनओलन्हि। आइ-काल्हिक “डिसकसन” वा द्वन्द जाहिमे पक्ष-विपक्ष, दुनू सम्मिलित अछि, दर्शनक (विशेष कए षडदर्शनक- माधवाचार्यक सर्वदर्शन संग्रह-द्रष्टव्य) खण्डन-मण्डन प्रणालीमे पहिनहिसँ विद्यमान छल। से इतिहासक अन्तक घोषणा कएनिहार फ्रांसिस फुकियामा -जे कम्युनिस्ट शासनक समाप्तिपर ई घोषणा कएने छलाह- किछु दिन पहिने एहिसँ पलटि गेलाह। उत्तर-आधुनिकतावाद सेहो अपन प्रारम्भिक उत्साहक बाद ठमकि गेल अछि। अस्तित्ववाद, मानवतावाद, प्रगतिवाद, रोमेन्टिसिज्म, समाजशास्त्रीय विश्लेषण ई सभ संश्लेषणात्मक समीक्षा प्रणालीमे सम्मिलित भए अपन अस्तित्व बचेने अछि। साइको-एनेलिसिस वैज्ञानिकतापर आधारित रहबाक कारण द्वन्दात्मक प्रणाली जेकाँ अपन अस्तित्व बचेने रहत। कोनो कथाक आधार मनोविज्ञान सेहो होइत अछि। कथाक उद्देश्य समाजक आवश्यकताक अनुसार आ कथा यात्रामे परिवर्तन समाजमे भेल आ होइत परिवर्तनक अनुरूपे होएबाक चाही। मुदा संगमे ओहि समाजक संस्कृतिसँ ई कथा स्वयमेव नियन्त्रित होइत अछि। आ एहिमे ओहि समाजक ऐतिहासिक अस्तित्व सोझाँ अबैत अछि। जे हम वैदिक आख्यानक गप करी तँ ओ राष्ट्रक संग प्रेमकेँ सोझाँ अनैत अछि। आ समाजक संग मिलि कए रहनाइ सिखबैत अछि। जातक कथा लोक-भाषाक प्रसारक संग बौद्ध-धर्म प्रसारक इच्छा सेहो रखैत अछि। मुस्लिम जगतक कथा जेना रूमीक “मसनवी” फारसी साहित्यक विशिष्ट ग्रन्थ अछि जे ज्ञानक महत्व आ राज्यक उन्नतिक शिक्षा दैत अछि।  आजुक कथा एहि सभ वस्तुकेँ समेटैत अछि आ एकटा प्रबुद्ध आ मानवीय समाजक निर्माणक दिस आगाँ बढ़ैत अछि। फ्रांसिस फुकियामा घोषित कएलन्हि जे विचारधाराक आपसी झगड़ासँ सृजित इतिहासक ई समाप्ति अछि आ आब मानवक हितक विचारधारा मात्र आगाँ बढ़त। मुदा किछु दिन पहिनहि ओ  कहलन्हि जे समाजक भीतर आ राष्ट्रीयताक मध्य एखनो बहुत रास भिन्न विचारधारा बाँचल अछि। उत्तर आधुनिकतावादी दृष्टिकोण-विज्ञानक ज्ञानक सम्पूर्णतापर टीका , सत्य-असत्य, सभक अपन-अपन दृष्टिकोणसँ तकर वर्णन , आत्म-केन्द्रित हास्यपूर्ण आ नीक-खराबक भावनाक रहि-रहि खतम होएब, सत्य कखन असत्य भए जएत तकर कोनो ठेकान नहि, सतही चिन्तन, आशावादिता तँ नहिए अछि मुदा निराशावादिता सेहो नहि , जे अछि तँ से अछि बतहपनी, कोनो चीज एक तरहेँ नहि कैक तरहेँ सोचल जा सकैत अछि- ई दृष्टिकोण , कारण, नियन्त्रण आ योजनाक उत्तर परिणामपर विश्वास नहि, वरन संयोगक उत्तर परिणामपर बेशी विश्वास, गणतांत्रिक आ नारीवादी दृष्टिकोण आ लाल झंडा आदिक विचारधाराक संगे प्रतीकक रूपमे हास-परिहास, भूमंडलीकरणक कारणसँ मुख्यधारसँ अलग भेल कतेक समुदायक आ नारीक प्रश्नकेँ उत्तर आधुनिकता सोझाँ अनलक। विचारधारा आ सार्वभौमिक लक्ष्यक विरोध कएलक मुदा कोनो उत्तर नै दऽ सकल। तहिना उत्तर आधुनिकतावादी विचारक जैक्स देरीदा भाषाकेँ विखण्डित कए ई सिद्ध कएलन्हि जे विखण्डित भाग ढेर रास विभिन्न आधारपर आश्रित अछि आ बिना ओकरा बुझने भाषाक अर्थ हम नहि लगा सकैत छी। आ संवादक पुनर्स्थापना लेल कथाकारमे विश्वास होएबाक चाही- तर्क-परक विश्वास आ अनुभवपरक विश्वास । प्रत्यक्षवादक विश्लेषणात्मक दर्शन वस्तुक नहि, भाषिक कथन आ अवधारणाक विश्लेषण करैत अछि । विश्लेषणात्मक अथवा तार्किक प्रत्यक्षवाद आ अस्तित्ववादक जन्म विज्ञानक प्रति प्रतिक्रियाक रूपमे भेल। एहिसँ विज्ञानक द्विअर्थी विचारकेँ स्पष्ट कएल गेल। प्रघटनाशास्त्रमे चेतनाक प्रदत्तक प्रदत्त रूपमे अध्ययन होइत अछि। अनुभूति विशिष्ट मानसिक क्रियाक तथ्यक निरीक्षण अछि। वस्तुकेँ निरपेक्ष आ विशुद्ध रूपमे देखबाक ई माध्यम अछि। अस्तित्ववादमे मनुष्य-अहि मात्र मनुष्य अछि। ओ जे किछु निर्माण करैत अछि ओहिसँ पृथक ओ किछु नहि अछि, स्वतंत्र होएबा लेल अभिशप्त अछि (सार्त्र)। हेगेलक डायलेक्टिक्स द्वारा विश्लेषण आ संश्लेषणक अंतहीन अंतस्संबंध द्वारा प्रक्रियाक गुण निर्णय आ अस्तित्व निर्णय करबापर जोर देलन्हि। मूलतत्व जतेक गहींर होएत ओतेक स्वरूपसँ दूर रहत आ वास्तविकतासँ लग। क्वान्टम सिद्धान्त आ अनसरटेन्टी प्रिन्सिपल सेहो आधुनिक चिन्तनकेँ प्रभावित कएने अछि। देखाइ पड़एबला वास्तविकता सँ दूर भीतरक आ बाहरक प्रक्रिया सभ शक्ति-ऊर्जाक छोट तत्वक आदान-प्रदानसँ सम्भव होइत अछि। अनिश्चितताक सिद्धान्त द्वारा स्थिति आ स्वरूप, अन्दाजसँ निश्चित करए पड़ैत अछि। तीनसँ बेशी डाइमेन्सनक विश्वक परिकल्पना आ स्टीफन हॉकिन्सक “अ ब्रिफ हिस्ट्री ऑफ टाइम” सोझे-सोझी भगवानक अस्तित्वकेँ खतम कए रहल अछि कारण एहिसँ भगवानक मृत्युक अवधारणा सेहो सोझाँ आएल अछि।जेना वर्चुअल रिअलिटी वास्तविकता केँ कृत्रिम रूपेँ सोझाँ आनि चेतनाकेँ ओकरा संग एकाकार करैत अछि तहिना बिना तीनसँ बेशी बीमक परिकल्पनाक हम प्रकाशक गतिसँ जे सिन्धुघाटी सभ्यतासँ चली तँ तइयो ब्रह्माण्डक पार आइ धरि नहि पहुँचि सकब। विहनि कथाक समक्ष ई सभ वैज्ञानिक आ दार्शनिक तथ्य चुनौतीक रूपमे आएल अछि। होलिस्टिक आकि सम्पूर्णताक समन्वय करए पड़त ! ई दर्शन दार्शनिक सँ वास्तविक तखने बनत।पोस्टस्ट्रक्चरल मेथोडोलोजी भाषाक अर्थ, शब्द, तकर अर्थ, व्याकरणक निअम सँ नहि वरन् अर्थ निर्माण प्रक्रियासँ लगबैत अछि। सभ तरहक व्यक्ति, समूह लेल ई विभिन्न अर्थ धारण करैत अछि। भाषा आ विश्वमे कोनो अन्तिम सम्बन्ध नहि होइत अछि। शब्द आ ओकर पाठ केर अन्तिम अर्थ वा अपन विशिष्ट अर्थ नहि होइत अछि।आधुनिक आ उत्तर आधुनिक तर्क, वास्तविकता, सम्वाद आ विचारक आदान-प्रदानसँ आधुनिकताक जन्म भेल । मुदा फेर नव-वामपंथी आन्दोलन फ्रांसमे आएल आ सर्वनाशवाद आ अराजकतावाद आन्दोलन सन विचारधारा सेहो आएल। ई सभ आधुनिक विचार-प्रक्रिया प्रणाली ओकर आस्था-अवधारणासँ बहार भेल अविश्वासपर आधारित छल। पाठमे नुकाएल अर्थक स्थान-काल संदर्भक परिप्रेक्ष्यमे व्याख्या शुरू भेल आ भाषाकेँ खेलक माध्यम बनाओल गेल- लंगुएज गेम। आ एहि सभ सत्ताक आ वैधता आ ओकर स्तरीकरणक आलोचनाक रूपमे आएल पोस्टमॉडर्निज्म।कंप्युटर आ सूचना क्रान्ति जाहिमे कोनो तंत्रांशक निर्माता ओकर निर्माण कए ओकरा विश्वव्यापी अन्तर्जालपर राखि दैत छथि आ ओ तंत्रांश अपन निर्मातासँ स्वतंत्र अपन काज करैत रहैत अछि, किछु ओहनो कार्य जे एकर निर्माता ओकरा लेल निर्मित नहि कएने छथि। आ किछु हस्तक्षेप-तंत्रांश जेना वायरस, एकरा मार्गसँ हटाबैत अछि, विध्वंसक बनबैत अछि तँ एहि वायरसक एंटी वायरस सेहो एकटा तंत्रांश अछि, जे ओकरा ठीक करैत अछि आ जे ओकरो सँ ठीक नहि होइत अछि तखन कम्प्युटरक बैकप लए ओकरा फॉर्मेट कए देल जाइत अछि- क्लीन स्लेट !पूँजीवादक जनम भेल औद्योगिक क्रान्तिसँ आ आब पोस्ट इन्डस्ट्रियल समाजमे उत्पादनक बदला सूचना आ संचारक महत्व बढ़ि गेल अछि, संगणकक भूमिका समाजमे बढ़ि गेल अछि। मोबाइल, क्रेडिट-कार्ड आ सभ एहन वस्तु चिप्स आधारित अछि। डी कन्सट्रक्शन आ री कन्सट्रक्शन विचार रचना प्रक्रियाक पुनर्गठन केँ देखबैत अछि जे उत्तर औद्योगिक कालमे चेतनाक निर्माण नव रूपमे भऽ रहल अछि। इतिहास तँ नहि मुदा परम्परागत इतिहासक अन्त भऽ गेल अछि। राज्य, वर्ग, राष्ट्र, दल, समाज, परिवार, नैतिकता, विवाह सभ फेरसँ परिभाषित कएल जा रहल अछि। मारते रास परिवर्तनक परिणामसँ, विखंडित भए सन्दर्भहीन भऽ गेल अछि कतेक संस्था। 

विहनि कथा एक पक्ष वा घटनाक वर्णन अछि आ ई आवश्यक नै जे ओकरा एक्के पृष्ठमे लिखल जाए। अहाँ ओहि घटनाकेँ ३-४ पृष्ठमे सेहो लिखि सकै छी आ ओ विहनि कथा रहबे करत। जेम्स जॉयसक “डब्लाइनर” लघु-कथा संग्रहक सभ कथा एकटा घटनासँ अनचोके कोनो वस्तुक त्वरित ज्ञान दर्शबैत अछि। १५ टा शॉर्ट-स्टोरीक संग्रह जेम्स जॉयसक “डब्लाइनर” २०० पृष्ठक अछि आ मैथिली विहनि कथाक सभ विशेषतासँ युक्त अछि। तहिना खलील-जिब्रान आ एंटन चेखवक ढेर रास शॉर्ट-स्टोरी नमगर रहितो विहनि कथा अछि। अंग्रेजीमे वा यूरोपियन साहित्यमे शॉर्ट-स्टोरी आ स्टोरीक प्रयोग कखनो पर्यायवाचीक रूपमे होइत अछि। नॉवेल जकरा बांग्ला आ मैथिलीमे उपन्यास आ मराठीमे कादम्बरी कहै छिऐ-क विस्तार बेशी होइ छै। मैथिलीमे ५०-६० पृष्ठसँ उपन्यास शुरू भऽ जाइत छै जे अंग्रेजीक शॉर्ट-स्टोरी / नोवेलेट/ नोवेला/ एहि सभक ऊपरी सीमाक्षेत्रमे अबैत अछि। मुदा मैथिलीक स्थिति अंग्रेजीसँ फराक छै। एहिमे बालकथा कैक राति धरि चलैत अछि तँ पैघ लोकक कथा मिनटमे सेहो खतम भऽ जाइत अछि। मैथिलीक सन्दर्भमे ई तथ्य आब सोझाँ आबि गेल अछि जे विहनि कथाक सीमा एक पृष्ठ, कथाक तीन-चारि पृष्ठ, दीर्घकथाक १५-२० पृष्ठ आ उपन्यासक ६०-५०० पृष्ठ अछि। एहिमे विहनि कथाक पृष्ठ सीमा १-४ पृष्ठ धरि करबाक बेगरता हम बुझै छी।


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