Thursday, April 5, 2012

विहनि कथा- आत्म हत्या


एहि‍ संसारमे इर्ष्याल-द्वेषक भावना अति‍ व्या,प्तर। सद्भावनाक डि‍वि‍यामे तेल सधल जकाँ अछि‍। लोक अपन दुखसँ ओतेक दुखी नहि‍ अछि‍ जतेक अनकर सुखसँ। कर्तव्य  अपन गाम छोड़ि‍ आनठाम बौआए रहल अछि‍। बेचाराकेँ कतौ जगह नै भेटै छै।
     बारह बर्खक बेटी पूनम आर नअ बर्खक बेटा सुमन बड्ड नीक ढंगसँ भाए-बहि‍नक भूमि‍का अदाए कए रहल अछि‍। पूनमक बाप मंगल अपन ताड़ीक धंधामे व्‍यस्तढ अछि‍। भि‍नसरसँ साँझ धरि‍ तार वा खजूरसँ ताड़ी उतारैमे लागल रहैत अछि‍। कहि‍यो-कहि‍यो खैनाइयो पर आफत। वि‍सराम तँ दि‍न भरि‍ दि‍ल्लीँ दूर। मुदा पूनमक माए हीरा ताड़ी बेचि‍ फुटानीमे ओतैक मस्ति अछि‍ जे सामाजमे केकरो सोहाए नहि‍ रहलि‍ अछि‍। कारण ओ अपन पति‍ आ संतानक पि‍यारकेँ बि‍सरि‍ अपन पसीनक सुखक लेल टि‍ंकुक संग रहि‍ रहलि‍ अछि‍। मुदा पापक घैला एक ने एक दि‍न अवश्यक फुटै छै। एक दि‍न दि‍नहि‍मे मंगल हीराकेँ टि‍ंकुक संग रंगल हाथ पकड़ि‍ लेलनि‍। बेचारे सोचलनि‍- “‍हम एहि‍ दुनि‍यामे बेकार लए छी। जखन हमरा कोनो मोजरे ने दैए।”
  क्रोधि‍त भऽ ओ बाजि‍ उठला- “सभसे बड़ो समाज।‍ समाज हमरा जे जेना फैसला देथि‍।”
     साँझहि‍ पंचैती भेल। पंचक फैसला भेल- “टि‍ंकुकेँ एक हजार एक टाका जुर्माना लगतै आ आइदा ओ एहेन गलती नइ करतै, जँ केलकै तँ भरल सभामे ओकरा दू खण्डि काटि‍, गाड़ि‍ देल जेतै‍।”
  फेर पंच हीराकेँ बजा सेहो पुछलनि‍- “अहाँ हीरा, एना कि‍एक केलि‍ऐ, इज्ज”त प्रति‍ष्ठाद कोठि‍क कन्हापपर राखि‍ देलि‍ऐ कि‍?‍”
  हीरा बाजलि‍- “इज्ज‍त-प्रति‍ष्ठाए हम की कोठी कन्हाापर राखब, हमर बापे राखि‍ देलनि‍। हम मुरूख आ कुरूप छी तेँ कि‍ हमरा तँ स्माइर्ट घरबला चाही ने।‍”
     पंचक मुड़ी नि‍च्चॉं् खसि‍ पड़ल। फेर सामाजि‍क बंधनक खि‍यालसँ ओ सभ चुप नहि‍ रहि‍ सकल- “अहाँक बाप गलती केलनि‍ तेकर फल मांगलाकेँ हेते, हमर समाज ि‍धनाए‍, अहाँ आइसँ चेत जाउ। नहि‍ तँ समाजसँ पैध क्योल नहि‍ अछि‍।”
     कहबी छै- “चालि‍, प्रकृति‍, बेमाए तीनू मुइनेहि‍ जाए।‍”
  हीरा पि‍ंकु अपन कुकर्म नहि‍ छोड़लक। अपि‍तु सहचेती बर्तलक मुदा छुपल कहाँ रहल। दुनू बेटा-बेटी पकड़ि‍ये लेलक। हल्लाु केलक तँ दुनू दुनूसँ मारि‍ओ खेलक। मुदा समाज एहि‍बेर मामलाकेँ गमभि‍र्ता पूर्वक लेबाक नि‍र्णए केलक। टि‍ंकु कहुनाकेँ गाम छोड़ि‍ पड़ा गेल। पंच सोचलनि‍- “सजाएक भागी दुनू अछि‍। मुदा टि‍ंकु पराएल अछि‍। तेँ अइ जनानीकेँ तारन देल जाए।‍”
  बि‍चार कल्हि‍ साँझक भेलै तै बीच दि‍नेमे ओ फसरी लगा आत्मचहत्याम कऽ लेलक। पुलि‍श खबड़ि‍ पाबि‍ घटना स्थबलपर पहुँचल। बेचारीकेँ पोस्टकमार्टम भऽ धौजन-धौजन भए गेल मामला भरि‍आ गेलै। नि‍र्दोष परोसी वि‍जय ओहि‍ समए बाबा धाममे रहि‍तहुँ केसमे चि‍क्कनसँ लटपटा गेल और पति‍ मंगलकेँ तीस सालक जहलक सजाए भेटल। दुनू भाए-बहि‍न टौआ-बौआ रहल अछि‍। आगू नाथ ने पाछु पगहा छै ओकरा सभकेँ।

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