Friday, April 6, 2012

अनुकम्पाक नोकरी



“बड्ड दर्द भऽ रहल अछि बाबू, आब बर्दास्त नै भऽ रहल अछि” ।
पता नै कोन घाव रहैक । पुकार कुहरि रहल छथि । पिता स्वतंत्रता सेनानी रहथि, जखन डाक्टर आ कम्पाउन्डर मना कऽ देलक घाव छुबएसँ तँ अपने हाथे सेवा कऽ रहल छथि । उजरा पाउडरकेँ नारिकेरक तेलमे मिला कऽ घावक खपलौइया हटा कऽ ओहिमे लगाबथि। पीजकेँ पोछथि। बाप आ छोट भाए दुनू सेवामे लागल रहथि । 
परूकाँ प्रथम श्रेणीमे उत्तीर्ण भेल छलखिन्ह पैघ बेटा, सत्यनारायण भगवानक पूजा भेल रहए।
बूढ़ बापक पैघ आश रहथि बड़का बेटा।
छोटका बेटा कोनो तेहन तेजगर नै रहथिन।
मुदा रोग एहन रहए जे एक दिन बड़का बेटाक प्राण लए लेलक।
अंग्रेजसँ लड़ैत खुशी-खुशी जेल गेल रहथि मुदा तखन युवा रहथि। बुढ़ारीमे ई शोक हुनका तोड़ि देलकन्हि । गुमशुम आ अपनेमे मगन रहए लगलाह । स्वतत्रता सेनानी पेंशनसँ घर चलाबथि । हँ छोटका बेटा पैघ भाएक सटिर्फिकेट लऽ कलकता गेलाह आ ओहि सटिर्फिकेटक आधारपर हुनका एकटा प्राइवेट कम्पनीमे नीक नोकरी भेटि गेलन्हि। माने मात्र नाम बदलि गेलन्हि।
लोककेँ बाप मरलापर नोकरी भेटैत छैक, हुनका भाएक मरलापर भेटलन्हि ।

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