Friday, April 6, 2012

कुमार मनोज कश्यप- विहनि कथा-बदलैत समय




आई सँ दस वर्ष पहिने जखन ऑफीस सँ घर घुमैत छलहुँ तऽ हमर नवका वुक्वुर भुकिं कऽ आ नवकी कनियाँ गऽर लागि कऽ हमर स्वागत करैत छलीह । आब काल करोट पेरि चुकल आछ  हमर पोसुआ वुक्वुर आ कनियाँ दुनु अपन आदति अदला-बदली कऽ लेलनि । आब घर आबते हमर कनियाँ हमरा पर भुकिं कऽ आ हमर पोसुआ वुक्वुर हमर गऽर लागि कऽ हमर स्वागत करैत आछ । समय एहिना बदलैत छै ।

No comments:

Post a Comment