फुसि केर फल
संत कविर दासक पाँति आछि- “साँच बरावर तप
नही, झुट बरावर पाप जाके हृदय साँच है, ताके हृदय आप।”
तातपर्य अछि- “सत्यमेव
जयते।”
एक गोट फुसिकेँ बचाबए हेतू सहस्त्र फुसि बाजए पड़ैत अछि। मुदा ओ स्थायी
रूपसँ नै पचि सकैत अछि कने देरे सही, फुसि फुसिए प्रमाणित होइत अछि। गीतामे
कृष्ण कहने छथिन- “जेसा
कर्म करैगा वैसा फल देगा भगवान।”
मोहनक
छोट भाए सोहन मैट्रीकक बोड परीक्षा दऽ कऽ मधुबनीसँ घर आबि रहल छलै। दुनू भाँइ
संगे छल। रस्तामे बिना टिकट रेलगाड़ीसँ किछु दूरी तँइ केलक मुदा किछु दूरी
तँइ करए हेतु ट्रेकर-मैक्सी पकड़वाक खगता भेलै आ दुनू भाँइ मैक्सीपर चढ़ि गेलै।
सोहनक अभिभावक मोहन लग भाड़ाक पाइ नै छलै। ओ सोचलक- “जँ हम साँच बाजि
दै छी तँ कन्टेक्टर मैक्सीसँ उतारि देत। हम घर कोना जा सकव। जँ झुट जोरसँ
बाजि दैत छी तँ ओकरा हमरा लऽ जेनाइ मजबुरी भऽ जेतै।”
कन्डक्टर भाड़ा ओसलैत-ओसलैत मोहन लग आबि कहलनि- “श्री मान् कतऽ
जाएब।”
मोहन जबाव देलक- “झंझारपुर।”
कन्डक्टर- “भाड़ा
दिऔ।”
झट मोहन बाजि उठल- “भाड़ा देलौं से?”
कन्डक्टर- “अहाँ
भाड़ा नै देलिऐ, मन पारू।”
मोहन- “मने-मन
अछि। मन िक पारू। भाड़ा हम अहाँकेँ दऽ देलौं।”
कन्डक्टर सोचलनि भऽ सकै छै, एकरा लग पाइयक मजबुरी होय। मुदा एकरा फुसि
नै बजबाक चाही। बजलाह- “जौ अहाँ
लग भाड़ा नै अछि तँ बाजू हम ओहिना लऽ जाएब। मुदा बेकूफ नै बनाऊ।”
मोहन- “ऐमे
बेकूफक कोन गप्प? हम
अहाँकेँ भाड़ा देलौं, अहाँ मन पारू।”
कन्डक्टर खिसिआ कऽ पुछि बैठलाह- “बाजू बेटा मरि जाए, हम भाड़ा दऽ देलौं।”
मोहन- “बेटा
मरि जाए, हम भाड़ा दऽ देलौं।”
कन्डक्टर कहलनि- “बेस चलु, आब भाड़ा नै मांगब।”
सोहन अपन भैयाक फुसि गप्पपर बड्ड आश्चर्यमे पड़ल छल। मुदा बाजत तँ बाजत
की।
गाम
आबि मोहन किछुए दिनक बाद बोकारो गेलाह। कनियाक बड्ड जिद्द केलाक बाद हुनको
संग लए गेलाह। संगमे दुगो बेटो छलनि। परिवारक संग पहिले खेपि बाहर गेल छलाह।
ओना ओ बोकारो पॉंच साल पूर्वहिसँ रहैत छलाह। तीन महिनाक अंदर मोहनक छोटका बेटा
रमन बेमार पड़ल। बोकारोमे बड्ड इलाज भेल मुदा ओ चंगा नै भेल। फेर ओ सपरिवार गाम
आबि गेलाह। गामोमे बड्ड इलाज भेल मुदा ओ बचि नै सकल, मृत्युक प्राप्त भेल। परिस्थिति
वस सोहनकेँ ओकरा आगि दिअए पड़लै। आओर मोहनकेँ ओकर उचित कर्मो करए पड़लैक।
एगो
कहबी छै- “गज भरि
नै हारी, थान भरि फारी।”
सम्पर्क-
गाम, चनौरागंज
जिला- मधुबनी
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