नौकरीमे अएलाक बाद विभागीय परीक्षाक तैयारीमे जुटल छला। मुदा परिणाम नीक नै भेलनि। असफल भऽ गेला। घरक सभ सदस्य असफलताक मादे जिज्ञासा कएल तँ कहलनि- “एम.डी.क खास छलै...ओकरा नै होइतै तँ ककरा होइतै? ”
पुत्रक परीक्षा चलि रहल छल। प्रथम स्थान प्राप्त करबाक मारामारी। मुदा पिता जेना पुत्रोकेँ निराशे हस्तगत भेल- “प्रिन्सिपलक बेटा छै ओ...प्रथम स्थान तँ सुरक्षिते छै...। ”
बाप-बेटा दुनू गेन्दकेँ दोसरक आंगनमे फेक निश्चिन्त भऽ गेल छला।
गुण कतौ पछुआरमे ठाढ़ छल।
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