Thursday, April 5, 2012

बेचन ठाकुरक दूटा वि‍हनि‍ कथा


चल आइये

आश्चर्यचकि‍त भऽ राम बाजल-
रहीम भाय, एक्को महि‍ना मुंबइ एना नै भेल आकि‍ फेर गाम जाइ छेँ। की कारण छै?”
रहीम हँसि‍ कऽ बजला-
राम भाय, नाझलुहु। गाममे इलेक्‍शन हइ न। जोगी मुखि‍या गामपर खूद आबि‍ कहि‍ गेल ह, बाहरबलाकेँ भोँट खसाबै लऽ गाम एबाक लेल अबै-जाइक भाड़ा आ दारू फ्री।

कनीकाल गुम्‍म भऽ आ कि‍छु सोचि‍ कऽ राम बाजल- भाय, हमरा मुंबइ एना एक सप्‍ताह भेल। ई बात हमरा नै बुझल छल। जौं ई बात छै तँ चलह आइये।


डाक डकोबलि‍

मुस्‍की दैत मुखि‍याजी- की हौ फेकन भैया। काल्हि‍ नोमि‍नेशनमे चलबाक छै?”
ऐपर खीसि‍या कऽ फेकन बाजल- कोन सपेत-के यौ?”
आश्चर्यमे पड़ि‍ मुखि‍याजी बाजला- बि‍सरि‍ गेलहक। काल्हि‍ साँझमे जे पलोथि‍न लेल दूटा नमरी देने रहि‍अह।
ऐपर मुस्‍का कऽ फेकन जबाक देलक- से तँ मने अछि‍ मुदा लुटनबाबूकेँ केना बि‍सरि‍ जेबै जे आइ भोरे भोर नोमीनेशनमे जाइले आ खाइ-पीऐले पाँच सए टाका अपने दऽ गेला। हुनकामे मार्शलक बेवस्‍था सेहो छै।

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