Friday, April 6, 2012

अखि‍लेश कुमार मण्डलक वि‍हनि‍ कथा

टि‍टनेस

इजोरि‍या झलफलाइत रहए। कोइली कुचड़ए लगल कि‍ बुधनीक नीन टूटल। इजोरि‍या झलफलाइत देखि‍ बुधनीकेँ भेल जे आइ उठैमे अबेर भऽ गेल। मुदा तैयो धरफड़ाएल उठि‍ कऽ वि‍छान समेटि‍ अलगनीपर राखए लगलि‍ आकि‍ कपड़ा लागि‍ गेलि‍ चारमे खोंसल हॅसुआ बुधनीक माथेपर लटपटाइत गि‍रल हाँसू भोँका गेल। बुधनीक माथासँ फूच्चूका मारि‍ खून बहए लगल। बुधनी बुदबुदाएल- हे भगवान, कोन हमरासँ गलती भेल जे एतेक बरका दुख बुढ़ारीमे देलौं। मरब की जीयब आब घा जल्‍दी छूटत।‍
खूनसँ साड़ी भि‍जए लगल। मोनमे एले जे आब बि‍देशर (बेटा)केँ उठा दै छि‍ऐ। नै तँ कि‍नसाइत होतसँ होतांग भऽ जेत्ते। बुधनी बि‍देशरकेँ हाक दि‍अऽ लगलि‍- रौ बौआ, बि‍देशर उठ।‍
  दुनू परानी एक्के हाकमे अकचकाइत उठल। घरेसँ बाजलि‍- की भेलौ माए?
  ‍कनी एम्‍हर आ हॅसुआ भोका गेल। बुधनी कहलक।
  दुनू परानी करू तेल लैऐ कऽ आएल सोचलक जे चोट बेसी लागल हेतै तँ ससारि‍ देबे। मुदा बि‍देशर देखलक खूनसँ ओसरा पटल। माइयक साड़ी सेहो भीजल। मोनमे ऐलै जे माएकेँ बेसी हालत खराब अछि‍। से नै तँ डाक्‍टरकेँ बजौने अबै छी। बि‍देशर पत्नीकेँ कहलक- ताबे अहाँ माएकेँ देखभाल करू। हम डाक्‍डर बजौने अबै छी।‍ कहि‍ बि‍देशर डाक्‍टर लग वि‍दा भेल। डाक्‍टर बजौने आएल।
बुधनीक घाउ देखि‍ डाक्‍टर बजलाह- बुढ़ीक दि‍मागी जखन बेसी अछि‍। कोना भेल।‍
बि‍देशर तमसाइत बाजल- बुढ़ि‍याकेँ भोरे उठैक आदत अछि‍। बि‍छान समेटि‍ अलगनीपर राखए लगल आकि‍ हाँसू माथेपर खसल।‍
गमैया डाक्‍टर मलहम-पट्टी कऽ देलक टि‍टनेसक सूइयो नै देलक। मुदा ि‍बदेशरकेँ कहलक- घा छुटैमे बीस-पच्‍चीस दि‍न लागत। बॉतर-खोंतर कि‍छ नै देबनि‍ खाइले। नै तँ ऊनसँ दून भऽ जाएत।‍ बुधनी डॉक्‍टरक बात सुनि‍ पथ-परहेजक करए लागलि‍। बुधनीक घाउक जखम देखि‍ बि‍देशर कखनो काल तमशाइयो जाइ आ बजै- ‍कोन जरूरी रहै छलौ भोरे उठै कऽ। मुदा कखनो काल आँखि‍मे नोर चलि‍ अबै कहुना छी तँ माए छी। तहुमे बुधनीक घाउ कखनो ब्‍लड प्रेशर जकाँ ठीस मारे लगए। बि‍देशर माइयक तबाही देखि‍ भरि‍-भरि‍ राति‍ जगले रहै छलए। सात-आठ दि‍न भऽ गेल। बुधनीक घाव दि‍नो-दि‍न बढ़ले चलि‍ गेल। दुखेनाइ नै कम भेल। जहि‍ना मनुक्‍खक संग मनुक्‍खक चालि‍ नै छोड़ैत तहि‍ना बुधनीक संग कखनो दुखैनाइ नै छोड़ैत। बुधनी दसम दि‍नक बाद खेनाइ-पि‍नाइ पुरा ति‍यागि‍ देलक।
बि‍देशर कलहन्‍त होइत पहुँचल डॉक्‍टर लग। कहलक डॉक्‍टरकेँ- ‍डाॅक्‍टर सहाएब माएक घाउ बढ़ले जा रहल अछि‍। दुखैनाइ कहि‍यो कमे नै होइत छै। आब खेनाइ-पि‍नाइ सभटा ति‍यागि‍ देलक।
डॉक्‍टर फेर पहुँचलथि‍ बुधनी लग। घाउकेँ बि‍स्‍तार भेल देखि‍ डॉक्‍टर बाजलाह- भोकेलहा हाँसू कनी देखाऊ।‍
बि‍देशर दौगल भनसा घरसँ हाँसू आनि‍ कऽ देलक। हाँसू देखि‍ डॉक्‍टर बजलाह- बुढ़ीकेँ टि‍टनेस भऽ गेलनि‍।‍
बि‍देशर बाजल- डॉक्‍टर सहाएब, हँसूआ देखि‍ कऽ केना बूझि‍ गेलि‍ऐ जे टि‍टनेस भऽ गेलै। हँसूआ कोनो मशीन छि‍ऐ? 
नै बि‍देशर, हँसूआ मशीन नै छि‍ऐ मुदा ऐ‍मे बीझ लगल छै तइसँ बुझलौं जे टि‍टनेस पकड़ने अछि‍।‍

72म सगर राति‍ दीप जरय- सुपौल, कथा गोष्‍ठीमे पठि‍त।

अखि‍लेश मंडल
वर्ग- अन्‍तर स्‍नातक (प्रथम बर्ख)
जनता कॉलेज, झंझारपुर। 

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