Wednesday, April 11, 2012

तस्वीर :: जगदीश मण्‍डल


तस्वीर

एकटा चित्रकार तीनटा तस्वीर बनौलक। एकटा सोचमे, दोसर हाथ मलैत आ तेसर माथ धुनैत। एक गोटे तीनू तस्वीरकेँ देखि‍ चित्रकारसँ पुछलक- तीनू तीन रंगक बूझि पड़ैए।
उत्तर दैत चित्रकार कहलक- ई तीनू एक्के आदमीक तीन अवस्थाक छी।
कोन-कोन अवस्थाक छी
पहिल बि‍आहसँ पहिलुका छी। जखन युवक कल्पनामे उड़ैत अछि। सोचैत अछि जे कत्ते सुन्नर कनियाँ भेटत। दोसर बि‍आहक बादक छी। जखन पारिवारिक जिनगी शुरू होइ छै आ जिम्मेवारी बढ़ैत छै। जिम्मेवारी बढ़लाक बादे समस्यासँ टकराए पड़ै छै। तखन बूझि पड़ै छै जे कोन जंजालमे पड़ि गेलौं तँए हाथ मलैत अछि। तेसर तस्वीर ओ छी जखन स्त्रीक वियोग आकि‍ विरोध होइ छै। तखन माथ घुनैत सोचए पड़ै छै जे हमर कपार फूटि गेल। अपने किरदानीसँ अपन, परिवारक आ खानदनक नाक कटा देलिऐक। जँ हमहूँ सही रास्तापर आबि चलैत रहितौं तँ एहेन दिन नै देखए ‍पड़ैत।

No comments:

Post a Comment