Friday, April 6, 2012

मिथिलेश कुमार झा- विहनि कथा- कानून



चौबटियाक सिंगल पीअरसँ लाल होइत-होइत एकटा फटफटियाबला जोरसँ बिरेक मारलक आ थम्हैत-थम्हैत ओ रुकबाक निर्धारित उरजा चेन्हकेँ पार कऽ गेल। तखने एक गोट सिपाही अएलै आ जुरमानाक रसीदबला जिल्द बहार करैत ओकरासँ लाइसेंस मँगलकै। फटफटियाबला क्षमा याचना करैत कहलकै जे ओकर गाड़ी बड्ड तीव्र गतिमे छलै आ तैँ जोरसँ बिरेक मारलाक बादो चेन्हसँ आगाँ घुसुकि आयल। ओ फटफटियाकेँ चेन्हक पाछाँ घीचि अनलक। एम्हर ई सिपहिया ओकरासँ जुरमाना लेबऽपर बिर्त। कि ताबतेमे एकटा पुलिसक जीप सेहो ओहि चेन्हकेँ पार कऽ सिंगलपर अटकलै। आ एहि सिपाहीपर फटफटियाबलाक अनुनयक कोनो प्रभाव नै। एकाएक ओ फटफटियाबला ताओमे आबि गेल, बाजल जे पहिने एहि पुलिस-गाड़ीसँ जुरमाना असूलह, तखने हमहूँ देबह। कानून सभक लेल एक्के छै। एतबा सुनितहि ओहि सिपहियाक मूह अपने सनक भऽ गेल छलै।

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