Friday, April 6, 2012

राम वि‍लास साहुक वि‍हनि‍ कथा


परि‍श्रमक भीख

सोमना बोनि‍हार अपन परि‍श्रमसँ परि‍वारक भरण-पोषण करैत छल। सभ दि‍न अपन मजदूरि‍क बोनि‍सँ खाइत-पीबैत जि‍नगी बि‍तबैत छल। सोमना जेतबे परि‍श्रमी ओतबे इमानदार सेहो छल। सोमनाकेँ जइ दि‍न काज नै‍ भेटैत छल माने बैसारी रहि‍ जाइत छल ओइ‍ दि‍न बीना भोजने पत्‍नी आ बाल-बच्‍चा पानि‍ पीबि‍ अपन टुटली मरैयामे सुति‍ रहै छल। एक दि‍न एहि‍ना भेल राति‍मे सभ परानी पाि‍न पीबि‍ सुि‍त रहल। भोर भेलापर काज खोजलक मुदा कोनो काज नै‍ भेटल। सेामना भुखक मारल थाि‍क कऽ दलानपर बैसि‍ छल। पत्‍नी आ बच्‍चाकेँ भूखसँ पेट-पीठ एक भऽ गेल। सोमना सभ परानी आँखि‍सँ नोर बहबैत भगवानसँ याचना करैत कहलक- हम एत्ते गरीब छी मुदा काजो नै‍ भेटैत अछि‍ जे परानो बचत। आब हम सभ भूखे परान ति‍यागि‍ देब।‍

सोमना माथपर हाथ रखने बैसल छल। तखने एकटा हट्ठा-कट्ठा भि‍खारी आबि कऽ भीख मँगलक। सोमनाकेँ भीख देबाले कि‍छु बँचल नै‍ छल। सोमना कहलक- भीख तँ हम नै‍ दऽ सकै छी, हम दऽ सकै छी परि‍श्रम।‍

भि‍खारी मने-मन सोचमे डुबि‍ गेल ओ सोचलक जे हम शरीरसँ ठीक छी तँ कि‍एक ने हमहुँ परि‍श्रम करब तँ भीखारीक जीबनसँ छुटकारा पाबि‍ जाएब। भीखारी खुश भऽ बाजल- आब हमहुँ, भीख नै‍ मॉंगव अहाँक बचन सुनि‍ हमरो लागल जे आखि‍र परि‍श्रमसँ तँ धन भऽ सकैत अछि‍। बेकार हम भीखक फेरि‍मे परल छी। आब हम परि‍श्रमेसँ अपन पेट भरब।‍

घर- लक्ष्‍मि‍नि‍याँ
पोस्‍ट- छजना
भाया- नरहि‍या
जि‍ला- मधुबनी

No comments:

Post a Comment