Friday, April 6, 2012

बहुपत्नी विवाह आ हिजड़ा



“मरि गेलि बेचारी “। गौआँ सभ फलना बाबूक तेसर कनिआँक मुइलापर कहलन्हि । 
“फलना बाबू तेसर कनियाँक गरदनि काटि लेलन्हि”। एक गोटे कहलान्हि।
“से ठीके कहैत छी । पहिल कनियाँमे बच्चा नै भेलैक तँ दोसर बियाह कएलक । मुदा जखन दोसरोमे बच्चा नै भेलैक तँ बुझबाक चाही छलए ने”।- दोसर गोटे कहलन्हि ।
“हँ आ उनटे तेसर कनियाँकेँ कहैत रहथि जे भातिज सभकेँ नै मानैत छिऐक तेँ भगवान बच्चा नै देलन्हि । बुझू”?-तेसर गोटे कहलन्हि । 
“हिजड़ा सार”।- चारिम गोटे सभा समाप्त करैत बाजल । 
मुदा चारि गोटेक ई महा-सम्मेलन एहि गपपर सहमति मे छल जे पहिल दू टा बियाह करब उचित रहए।


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