Friday, April 6, 2012

एकटा पत्र




शुभाशीष।
हम एतय कुशल छी। अहाँ सबहक कुशलक हेतु सतत् भगवानसँ प्रार्थी रहैत छी।
आगाँ समाचार ई जे अहाँ सभ हमर खोज खबरि लेनाइ बिल्कुले बिसरि गेल छी। फोनो तँ छोड़ू, चिट्ठीयोसँ गप्प केना महिनो बीति जाइत अछि। कमसँ कम सप्ताहमे नहि तँ महिनोमे एको बेर तँ मायक लेल गप्प करबाक समय निकालू। 


एतेक मोटका-मोटका किताब अहाँ लिखैत छी किन्तु मायसँ गप्प करबाक फुर्सति नहि अछि। अहाँक किताबक खिस्सा आ कविता सभ दीदी सुनेलक अछि। बहुत मार्मिक लगैत अछि। परन्तु अपन माँक प्रति कोनो जिज्ञासा नहि होइत अछि, जे कतय रहैत अछि आ कोना अछि। 

भाएसँ अहाँ अपने समय-समयपर गप्प करू जे हम कतऽ कतेक दिन रहब। गाममे आब हमरा नहि रहल होएत कारण एतए कोनो व्यवस्था नहि अछि आ कियो पुरुख नहि रहैत छथिन्ह। अहाँ सभ भाए-बहिनमे छोट छी किन्तु घरमे अहींकेँ घरक व्यवस्था आ इन्तजामक भार शुरुहेसँ अछि। किन्तु एम्हर अहाँ ध्यान नहि दैत छिऐक। फोनपर अहाँसँ गप्प करबाक बड्ड मोन होइत रहैत अछि। बच्चा सभसँ सेहो गप करबाक मोन होइत रहैत अछि। बच्चा सभकेँ दू-तीन दिनपर बासँ गप करबा लेल कहबै।

जमाएकेँ देखैत रहै छियन्हि जे सभ दू-तीन दिनपर अपन माँसँ गप करैत रहैत छथिन्ह, से हमरो सौख लगैत रहैत अछि जे हमर बेटा सभ केहन अछि जे कहियो माँसँ गप्प करबाक मोन नहि होइत छैक।
सभ कहैत अछि जे अहाँकेँ कोन चीजक कमी अछि, से हमरो चीजक कमी तँ नहि अछि मुदा धिया- पुताक हम प्रेमक भूखल छी। 

पुतोहु, अहाँकेँ एखन घरक सभटा काज करए पड़ैत होएत। बड्ड मेहनति होइय होएत, मुदा तैयो हमरोपर ध्यान राखब। हम बड्ड घबराएल रहै छी तेँ जे फुराएल से हम चिट्ठीमे लिखा देलहुँ।
अहाँ सभक प्रेमक भूखल-
अहींक माँ।

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