Friday, April 6, 2012

मिथिलाक उद्योग



गाममे चौधरीजीक बड्ड रूतबा, डरे सभ सर्द रहैत छल । ककर दीन अछि जे हुनकर गम्हरायल धान काटि लेत आकि ... ।
ओ एकटा बस खोललन्हि-
“दरभंगासँ गाम धरि चलत । सेकेंड हैंडमे भेटल अछि । पुरनका मालिकक लाइसेंस काज देत। संगमे बसक पुरनका मालिक तीन मासक लेल अपन ड्राइवर आ खलासी सेहो देलक अछि, तकर बाद अपन ताकि लेब”।
चौधरीजी मन्दिरपर बसक पूजा करैत काल गौआँ सभ़सँ बजलाह । 

“सुनैत छिऐक बस-स्टैण्डमे बड़ बदमस्ती करैत जाइत छैक”- एक गोटे गौआँ बजलाह
“धुर, चौधरीजीक बस आ आदमीकेँ के छुबाक साहस करत”? दोसर गोटे प्रसाद लैत बजलाह। 

बसक रूट आकि रस्ता यात्रीगणक लेल सुभितगर रहैक से ओहि गाड़ीमे पैसेन्जर भरि जाइत रहए। दोसर बसबला सभ दबंग सभ।
शाहीजी आ मिश्राजीक स्टाफ सभ बड़ सञ्जत! से चौधरीजीक स्टाफकेँ गरगोटिया दऽ बस स्टैण्ड सँ बाहर निकालि देलकन्हि।

पोखरिक महारपरसँ चौधरीजीक बस खुजए लागल तँ ओतहु यात्री पहुँचए लगलाह।

आब तँ बस-स्टैण्डक दादा सभकेँ बड्ड तामस उठलन्हि ।
दुनु ड्राइवर आ खलासीकेँ पुष्ट पीटल गेल आ ईहो कहल गेल जे फेर एहि रूटपर चलताह तँ बसक एक्सीडेन्ट करबा देल जएतन्हि। शाही आ मिश्रा जीक तँ पचासो टा गाड़ी छन्हि एकटा थानामे एक्सीडेन्टक बाद पड़ले रहत तँ की ?

गामक रोआब –दाब बला कौधरीजी बस-स्टेण्डक दादा सभक सोझाँ जेना बकड़ी बनि गेलाह।

गाममे मन्दिरपर गाड़ी ठाढ़ छन्हि, ओहि पर कदीमाक लत्ती चढ़ि गेल अछि पैघ-पैघ कदीमासँ बस झपा गेल अछि। खूब फड़ल छैक।
गौआँसभ हँसीमे कहि रहल छथि-
“चौधरीजीक बसक पाइ तँ एहि बेर कदीमा बेचिये कऽ उप्पर भऽ जएतन्हि”।
“दरभंगाक इन्डस्ट्रीयल स्टेटमे सेहो फैक्ट्री सभ एहिना बन्द अछि आ ओकर देबाल सभपर एहिना तर-तीमनक लत्ती सभ भरल छैक”- दोसर गौआँ बाजल। 


No comments:

Post a Comment