Wednesday, April 4, 2012

बलिक छागर



ब्याहक मंडप, चारू-कात हँसी- मजाक, हर्ष-उल्लासक वातावरण, मुदा दुल्हा चूप,शांत |
बरिआतीमे सँ एक दोस्त दोसरसँ,  "बताऊ एतेक खुशिक अबसरपर सभ कियो प्रशन्य अछि परञ्च वरक मुँहपर खुशीक नमो  नहि देखा रहल अछि |"
दोसर दोस्त भांगक निसामे हिलैत-डूलैत, "भाइ  बलिसँ पूर्व छागर कएतौ प्रशन्य रहलैए |"

No comments:

Post a Comment