ब्याहक मंडप, चारू-कात हँसी- मजाक, हर्ष-उल्लासक
वातावरण, मुदा दुल्हा चूप,शांत |
बरिआतीमे सँ एक दोस्त दोसरसँ, "बताऊ एतेक
खुशिक अबसरपर सभ कियो प्रशन्य अछि परञ्च वरक मुँहपर खुशीक नमो नहि देखा रहल
अछि |"
दोसर दोस्त भांगक निसामे हिलैत-डूलैत, "भाइ बलिसँ पूर्व
छागर कएतौ प्रशन्य रहलैए |"
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