Friday, April 6, 2012

पंकज कुमार प्रियांशु- विहनि कथा- जीवनक अनमोल क्षण



जखन प्लस टू सँ इण्टर कएलाक बाद महाविद्यालयमे प्रवेश कएलहुँ तँ बहुत प्रयास कएलाक बाद दू गोट संगी बनल, ओहो समाज सेवा कार्यसँ जुड़लाक बाद। सुनबामे अबैत छल जे कॉलेज स्टूडेन्टकेँ कए गोट मित्र रहैत अछि- पुरुष मित्र आ महिला मित्र दुनू। पुरुष मित्र तँबूझएमे आएल मुदा महिला मित्र एहिपर हमरा कनी आपत्ति छल, किएक तँ हमरा बुझने पुरुष ओ महिला मात्र मित्रेटा बनि नै रहि सकैत अछि। महिला मित्र नै बनए एकरा प्रति सचेष्ट रहैत छलहुँ। यदि कोनो लड़कीसँ आमने-सामने गप करबाक स्थिति उत्पन्न भऽ जाइत छल तँ परेशान भऽ जाइत छलहुँ। एहि बातपर हम सदिखन दृढ़ निश्चय रही जे यदि कहियो कोनो लड़कीसँ मित्रता भेल तँ ओकरा अपन जीवन-संगिनी बनबाक प्रस्ताव अवश्य देबै। मुदा तकरा लेल एकटा एहन कियो होएबाक चाही जकर कल्पना हम कएने छी। आ हमर कल्पनामे जकर प्रतिबिम्ब छल तकरामे एकमात्र विशेषताक आशा ई कएने रही जे ओ हमरा बूझि सकए। मुदा आजुक समए एहन साथी भेटनाइ, ओहूमे हमरा एहन सामान्य परिवारक लड़काकेँ असम्भव बुझना जाइत छल। तेँ एहि दिशामे हमर कोनो विशेष प्रयास कहियो नै रहल।
समए बितैत रहल आ महाविद्यालयमे नामांकन लेलहुँ। हमर मनकेँ जकर इन्तजार छल से शाइत ओतहि आसपास हमर प्रतीक्षामे छल, ई बात बड्ड बादमे बूझएमे आएल। एक दिन कोनो विशेष कार्यवश स्टेशन जएबाक मौका भेटल। किछु अतिथि लोकनि आएल रहथि, हुनका लोकनिकेँ ट्रेनपर बैसेबाक लेल। जाहि बॉगीमे हिनका लोकनिक आरक्षण छल ओहिमे नीचाँबला दूटा बर्थ खाली रहैक। ट्रेन खुजबामे एखन किछु समए छल। तेँ हम ओहि खाली बर्थपर बैसि रहलहुँ। किछु समएक बाद ओहि बॉगीमे दूटा लड़कीकेँ चढ़ैत देखलिऐक। ओहिमे एकटा लड़की चिन्हार सन लागल। भगवानसँ प्रार्थना कएलहुँ जे कमसँ कम किछु क्षणक लेल ओ हमरा लग आबि बैसए। हमर मन तत्क्षण पूरा भऽ गेल। जखन करीबसँ हमर नजरि ओकरासँ मिलल तँ इच्छा भेल जे सभ मर्यादा तोड़ि एकटक ओकरे देखैत रहियैक। मुदा से नै भऽ सकैत छल। हमरा लागल ई तँ ओएह छथि जिनका हमर आत्मा एकीकार करए लेल व्याकुल छल। किछु देर बाद ट्रेन खुजल आ एक खुबसूरत पल हमरासँ दूर होइत गेल।
ओ हमरासँ दूर तँ चलि गेली मुदा हमर मन हमरा संगे नै छल।किछु दिन बाद विश्वविद्यालयक कोनो कार्यक्रममे पुनः भेंट भेल। तखन बूझएमे आएल जे ओ हमर विभागक बगलबला विभागक छात्रा छलीह। आब सप्ताहमे एक-दू दिन हुनकासँ भेंट भऽ जाइत छल। कोनो बात करबाक साहस तँ नै होइत छल मुदा जाधरि ओ सोझाँमे रहैत छलीह दुनियाँ बिसरबाक मन होइत छल। एक साल बाद ओकर सत्र समाप्त भऽ गेलै आ ओ अनचोक्के एक दिन शहरसँ दूर चलि गेली। बहुत किछु कहबाक रहए मुदा आब सभ मनेमे रहि गेल। तखन मनकेँ सांत्वना देबाक लेल तरह-तरहक बात अपने-आपसँ करए लगलहुँ। सोचलहुँ एतेक पैघ परिवारक लड़की हमरासँ दोस्ती किएक करत? एतेक सुन्दर नयनाभिराम लड़कीक की पहिनेसँ कोनो दोस्त नै हेतैक जकरा ओ दोस्तसँ बेसी आर किछु मानैत होएत। एहने सभ विचारसँ मनकेँ बुझबाक प्रयास करैत छलहुँ मुदा आगू जा कए हमर ई सभ विचार असत्य भेल।

धीरे-धीरे हम अपन कार्यमे लागि गेलहुँ मुदा ओ मनमोहिनी चेहरा हमरा सामनेसँ कहियो नै हटल। तीन-चारि मासक बाद संयोगसँ ओहि विभागमे जेबाक मौका लागल। ओतए सामान्य प्रयासक बाद हमरा ओकर नम्बर सेहो भेट गेल मुदा बात करबाक हिम्मति नै जुटा सकलहुँ। संयोगसँ ओहि विभागमे कोनो विशेष कार्यक्रमक आयोजन छल। हम एहि कार्यक्रमक जानकारी देबएले हुनका फोन कएल। बहुत बेसी नै, दू-चारि मिनट गप भेल। जखन ओ दोबारा भागलपुर अएलीह तँ लगभग एक घंटा समए बितेबाक मौका भेटल। ओहि बीचमे एक-दू बेर हुनक मोबाइलपर फोनो आएल, जाहिमे आधा घंटा लगभग ओ व्यस्त रहलीह। हमरा ई पक्का बुझा गेल जे हुनक पहिनेसँ कोनो मित्र छल, कोन प्रकारक से नै बूझि सकलहुँ।
ओ जखन वापस चलि गेली तँ हुनका लए परेशान रहए लगलहुँ। ओना आब फोनपर बातचीतक सिलसिला शुरू भऽ गेल छल। तैयो हमर मन हुनका प्रति एतेक आकृष्ट भऽ गेल छल जे एक दिन हुनका बिना बितेनाइ मोश्किल भऽ गेल छल। परोक्ष रूपसँ अपन मोनक दशा हुनकासँ गपशपक क्रममे बता दै छलियन्हि। हमरा आस्ते-आस्ते एहन लागए लागल जे शाइत ओहो हमरासँ प्रेम करैत छथि।शाइत ओ पहिने हमरा दिससँ पहलक आशा कएने छलीह। लगभग दू मासक बाद एहेन मौका लागल जे हम डराइत-डराइत अपन मनक बात कहि देलियनि। दू दिन बाद हमरा जवाब भेटल। जवाब अनुकूल छल। आब तँ हमरा लागए लागल जे हमर जिन्दगीक सभसँ बहुमूल्य वस्तु हमरा भेटि गेल।
विश्वास नै होइत अछि मुदा ई सत्य अछि जे आइ ओ हमर जीवन संगिनीक रूपमे संग दऽ रहल छथि। आ एक आदर्श गृहिणीक अपन जिम्मेदारी सम्हारि रहल छथि। ईश्वरकेँ धन्यवाद दैत छियनि जे हमरा एक एहेन जीवन साथी प्रदान कएलनि जे हमर जीवनक क्षण-क्षणकेँ अमृत समान पवित्र आ विशिष्ट बना देने छथि।

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