Wednesday, April 4, 2012

आधा भगवान



आधा भगवान
  परोपट्टामे श्रमपुराकेँ छोड़ि‍ एक्कोटा गाम एहेन नहि‍ अछि‍ जै गाममे अइबेर धानक खेती भऽ सकल। एकर कारण भेल रौदी। कतेक गाममे तँ धानक बीआ बि‍रारेमे पानि‍ दुआरे जरि‍ गेल।
श्रमपुरामे धानक खेतीक सुतरैक कारण अछि‍ जे एहि‍ गामक कि‍सान मेहनती छथि‍, आशावान छथि‍। एहि‍ गामक कि‍सान आपसमे तालमेल कऽ कऽ लगभग चारि‍ बीघापर एकटा बोड़ि‍ंग गरौने छथि‍। तइपर सँ जोताॅसक जमीन थोड़े नि‍चरस सेहो छै। श्रमपुराक लोक साहसी आ मेहनती होइ छथि‍ से परोपट्टाक लोककेँ बुझल छन्हिी‍।
वि‍शेसर श्रमपुरेक एकटा कि‍सान जे आइ अपन सासुर भि‍ठपुर वि‍दा भेल। भि‍ठपुरक सीमानेपर एकटा बाबन बीघाक पोखरि। पोखरि‍ महारेपर स्कूसल सेहो अछि। ओहि‍ठाम नवाह होइत देखि‍ वि‍शेसर सोचलक जे दर्शन करैत जाएब। जौं कहीं सार  भेट जेताह तँ संगे नि‍कलि‍ जाएब। सएह केलक।
      मंडपक आगूमे वि‍शेसर ठाढ़ भेल। तखने कीर्तन मंडलीसँ नि‍कलि‍ जीयालाल वि‍शेसरकेँ पुछल- “पाहुन की हाल-चाल...। घरपर सँ एलि‍ऐ आकि‍ गामसँ आबि‍ये रहल छीऐ?‍”
  अपन सार जीयालालकेँ चि‍न्हैँत वि‍शेसर बाजल- “गामेसँ अबै छी, अहीं ओहि‍ठाम जाएव।‍”
  “अच्छाी-अच्छा  चलू।‍” कहैत जी‍यालाल परसाद बलाकेँ शोर पाड़ैत कहलक- “हे यौ, श्रीमोहन बाबू, कने परसाद देल जाउ पाहुन छथि‍।‍”
  परसाद बला चङेरा नेने श्रीमोहन आबि‍ वि‍शेसरक हाथमे दैत जीयालाल दि‍शि‍ देखैत पुछलकनि‍- “कोन गाँ पाहुन रहै छथि‍?‍” जी‍यालालक बाजवसँ पहिनहि‍ वि‍शेसर कहि‍ देलकनि‍- “श्रमपुरा रहै छी।‍”
  “अच्छा ..ऽ, आब चि‍न्हिि‍ गेलौं, ऐ बेर अहुँ सभकेँ तँ रौदि‍ये भऽ गेल कि‍ने। धान तँ नहि‍ऐ भेल हएत?‍”
  श्रीमोहनक मुँह दि‍स देखैत वि‍शेसर कहलकनि‍- “धान कि‍एक ने हएत। हम सभ अपनो अदहा भगवान छी से नहि‍ बुझल अछि‍।”
  वि‍शेसरक जबाव सुनि‍ श्रीमोहन कि‍छु बजला नहि‍। बगलमे ठाढ़ पान-सात आदमीकेँ देख टहैल परसाद बाटए लगलाह।
      जीयालाल आ वि‍शेसर दुनू सारे-बहनोइ घरपर वि‍दा भेला। रास्तागमे जखन लाउडस्पीाकरक अाबाज कमलै तखन असथि‍रसँ जी‍यालाल वि‍शेसरकेँ पुछल- “पाहुन, अहाँ जे कहलि‍ऐ हम सभ अदहा भगवान अपने छी से कोना?”
  वि‍शेसर- “बरनी, पहि‍ने अहाँ ई कहू जे नवाह अहाँसभ कि‍अए ठनने छि‍ऐ।‍”
  जीयालाल जबाव सुनैक पति‍क्षामे तुरत जबाव देलक- “देखै नै छि‍ऐ पानि‍क चलैत एक्को अना धानक खेती नहि‍ भेलैहेँ।”
  वि‍शेसर मुस्कुसराइत बाजल- “हमरा सबहक आठ अनासँ दस-बारह अना तक धानक  खेती भेल अछि‍। अहीं कहू जे हम सभ अदहा भगवान भेलौं की नहि‍?।”



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