Wednesday, April 11, 2012

भीख :: जगदीश मण्‍डल


भीख

एकटा मच्छर मधुमाछी छत्ता लग पहुँचल। छत्तामे ढेरो मधुमाछी छलै। छत्ता लग बैस मच्छर मधुमाछीकेँ कहलकै- हम संगीत विद्यामे निपुण छी। अहूँ सभ संगीत सीखू। हम सिखा देब। बदलामे थोड़े-थोड़े मधु देब जइसँ हमरो जिनगी चलत।
मधुमाछी सभ अपनामे वि‍चार करए लगल। मुदा बिना रानी माछीक वि‍चारसँ कि‍यो किछु नै कऽ सकैत छलै तँए रानीसँ पुछब जरूरी छलै। सभ मधुमाछी वि‍चारि‍ कऽ एकटा मधुमाछीकेँ रानीमाछी लग पठौलक। रानीमाछी सभ बात सुनि कहलकै- जहिना संगीत-शास्त्रक ज्ञाता मच्छर, भीख मंगैले अपना ऐठाम आएल अछि तहिना जँ हमहूँ सभ मेहनति‍ छोड़ि देब तँ ओकरे जकाँ दशा हएत। तँए मेहनति‍क संस्कार छोड़ि सस्ता संस्कार अपनौनाइ मुरुखपना हएत। अगर अहूँ सभकेँ संगीतक सख होइए तँ मेहनतो करू आ बैसारीमे संगीतो सीखू।

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