“मालिक, सोमना चोर भए गेलए ।“
“हौ, की चोरा लेलकए ?“
“मालिक ओ हमर की चोरेत, हमरा लग अछिए की ।“
“तहन कथिक चिन्ता ।“
“ओकरा हम देखलहुँ अहाँक कलममे पथियाक निच्चामे
आम आ उपरसँ घास भरने, आब कहु ओ आम कतएसँ एलै अहीँक कलमसँ नहि चोरेने होएत ।“
“हौ लेबअ दहक, कि करबहक ओकरा तँ अपने कलम गाछी
छै नहि तहन की करत, बाल बच्चा तँ ओकरो छै । एहेन छोट छोट गप्प देख कए आँखि मुनि ली
आखीर एहि संसारमे गुजारा तँ सभकेँ करैएकेँ छै ने ।“
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