बाबा अप्पन सात बर्खक पोतासँ, “की हौ बौआ, ललन
कतए गेलाह |”
“बाबूजी तँ पूजा कए रहल छथि |”
“ईऽऽहऽ.. खेतोपर जेता की
खाली पूजे केने गुजारा भए जेतनि, पूजो पाठ एक सीमे धरि नीक होइ छै | जीवन चलै लेल
रुपैया चाही आ रुपैया लेल काज करए परै छै आ घरमे जखन अन्न-धन भरल रहै छै तकर बादे
पूजो नीकसँ होइत छैक |” बाबा एसगर बड़बड़ाइत दलान दिस चलि गेला |”
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