Thursday, June 13, 2013

अन्तरात्माक आवाज

98. अन्तरात्माक आवाज

-बच्चा तूँ हमर संग छोड़ि कऽ अपना लेल खतरा मोल लऽ रहल छें ।
-बाबा, पैघ खतरा तँ अहाँक संग रहलापर अछि ।
-हमरा लऽग कोनो खतरा नै छौ ।तूँ तँ जानैत छें, दुनियाँक कोनो ताकत हमर नकली चोलाकेँ नै भेद सकैत अछि ।
-इएह घमण्ड अहाँकेँ पतन दिश लऽ जाएत ।एते दिन हम अहाँक लड़कीक धन्धा, ड्रग्सक धन्धा आ हथियारक धन्धामे संग देलौं, मुदा आब नै ।
-आब किए नै ? आब तोरा दूना टाका देबौ ।
-नै चाही टाका ।आब हम जागि गेल छी ।हमर अन्तरात्माक आवाज मजगूत भऽ गेल अछि ।एते दिन अहाँ बचि गेलौं, मुदा आब हम कोर्टमे गवाही देबै ।
- बच्चा, ओहिसँ पहिने तोरा मरबा देबौ ।
-ई सम्भव नै अछि ।जागलकेँ अहाँ नै मारि सकै छी ।जँ देशक सबटा चेला जागि जेतै तँ अहाँ एहन सब पाखण्डीसँ जहल भरि जेतै ।
किछु दिन बाद बाबा कोर्टमे ठाढ़ छलथि ।

अमित मिश्र

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