Friday, June 14, 2013

भूखाएल

101. भूखाएल

"आइ मौगियाकेँ नै छोड़बै ।नाक कटा देलक हमर ।"सासु अपन पुतौहपर चिचिया रहल छल ।पंचायतमे सुगबुगाहट बढ़ि गेलै "देखहक तँ केहन ढीठ मौगी छै ।मरदकेँ जीबितेमे छोड़ि दोसर मनसासँ गेठी जोड़ि लेलकै ।"
पुतौह पंचायतकेँ बतेलकै "हमरा दोसर विआह कराबैमे हमर सासुक हाथ अछि ।"
आब तँ सासुक संग पंचायतो ओकरापर उनटि गेलै ।बेटाकेँ रहिते सासु किए दोसर विआह करबेतै? तखन पुतौह पोल खोललक "बुढ़िया बेटाकेँ परदेश जाइ लेल दबाब देलकै ।उहो मातृभक्त, चलि गेलै ।हमरा लऽ जाए बेर बुढ़िया रोकि देलकै ।आब अहीं सब बताउ मोबाइलपर तँ हमर भूख नै शान्त हेतै ने?पाँच बरखसँ मरदाबा गाम नै छलै ।कतबो टाका भऽ जाए, उमरि तँ घूरि कऽ नै एतै ?हम भूखाएल छलौं तेँ भूख शान्त करबाक बाट निकालि लेलौं ।आब अहीं कहू हमर कोन गलती ?"
पुतौहक बयान सूनि पंचकेँ असलियत पता चललै आ ओ एहि विआहक मंजूरी दऽ देलकै ।

अमित मिश्र

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