कनाट प्लेस । कॉफी हॉउसक आँगन
कएकरो इंतजारमे टाइम पास करैत कॉफीक चुस्कीक आनन्द लैत । हमर सामनेक खाली कुर्सीपर
करीब १५ बर्खक कन्याँ आबि बैसैत, “अहाँकेँ खराप नहि लगे तँ हम बैस रही ।“
“किएक नहि ।“
ओ बातूनी कन्याँ एकपर एक सवाल
दागैत, “लगैए अहाँ कोनो MLM बिजनेसमे छी ।“
“हाँ ।“
“ओ माइ गॉड, MLM हमर फेबरेट
विषय अछि । हम बारहवीँमे पढ़ै छी, हमरो इक्षा अछि जे ग्रेजुएशनकेँ संगे MLM बिजनेस
कए कऽ टाइम फ्रीडम आ मनी फ्रीडम पाबी ।“ पत्ता नहि अओर की की बतियाइत ओ बातूनी अंतमे
हमरा थेंक्स कहि ओहिठामसँ चलि गेल ।
ओकर
गेलाक किछु छन बाद हमर भीतर केँ शैतान जागल, “ हमर अंतिम अवस्थामे, हमर अंतिम
प्रेमक अंतिम नाइका कोनो एहने १५-१६ बर्खक बातूनी हेबा चाही ।“
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