Tuesday, June 4, 2013

पाठक

विहनि कथा-40
पाठक

रेलवे टीसन परहक दृश्य अछि एकटा लेखक एक व्यक्तिकें पत्रिकाक किछु अंक रखने देख बाजैत छथि " भाइ अहाँकें देख मोन प्रसन्न भऽ गेल । "
- से किए ?
- अहाँक हाथमे जे पत्रिका अछि ताहिमे हमर कथा छपैत अछि ।
- एहिमे प्रसन्नताक कोन बात ? एहिना सबकें छपै छै ।
- असलमे हमर रचना अहाँकें नीक लागैत अछि तेँ ने अहाँ पढ़ैत छी ।नै तँ अनेरे पाइ किए खर्च करब ?
- यौ महराज, हम किनको कथा नै पढ़ैत छी ।पत्रिकामे नव-नव छौड़ी सभक गरमा-गरम फोटो छपल रहैत अछि ओकरे दर्शनक लेल पाइ खर्च करैत छी ।

पाठकक उत्तर सूनि लेखक महोदयक हरिआएल मुँह मौला गेलै ।

अमित मिश्र

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